
भिखारी भी हूए हाईटैक, क्यूआर कोड के जरिए मांग रहे भीख
नई दिल्ली। जिस तरह से चीन हर चीज में हाईटेक ( high tech ) हाेता जा रहा है, ठीक उसी प्रकार चीन के भिखारी ( bagger ) भी कुछ अलग अंदाज में भीख मांग रहे हैं। हैरानी की बात है कि भीख सड़क ( road ) या ट्रेन ( train )में नहीं बल्कि क्यूआर कोड ( QR code ) के जरिए मांगी जा रही है। जी हां, सुनकर अजीब तो लगा होगा लेकिन यह बात सच हैं । चीन की एक कंपनी ने भिखारियों को क्यूआर कोड उपलब्ध कराए हैं। जिसके जरिए भिखारी ई-वॉलेट का इस्तेमाल करके लोगों से भीख माग रहे हैं।
जानकारी के अनुसार- इन्हें भीख देने के लिए लोगों को क्यूआर कोड स्कैन करना होगा। इससे भीख देने वाले की डिटेल कंपनी के पास चली जाएगी। इसके बदले में भी कंपनियां भिखारियों को अपनी ओर से पैसा देती है, जो सीधा उनके ई-वॅलेट में चला जाता है। क्यूआर कोड जारी करने वाली कंपनियों में अलीबाबा का अलीपे और वी चैट जैसी ई-वॉलेट e-wallet शामिल हैं। टूरिस्ट प्लेस के अलावा रेस्ट्रोंट के आस-पास ऐसे हाईटेक भिखारी देखे जा सकते हैं। जिनके पास क्यूआर कोड और डिजिटल पेमेंट ( Digital payment ) सिस्टम है।
भिखारियों को क्यूआर कोड की मदद से भीग मागने में आसानी हो गई है। जो लोग खुल्ले पैसे ना होने का बहाना बनाकर निकल जाते थे, वो अब स्कैन के जरिए छुट्टे पैसे भिखारियों को ऑन द स्पॉट देने लगे हैं।
डिजिटल तकनीक की मदद से इस तरह मांगते हैं भीख
चीन के भिखारी लोगों से प्रिंटआउट के जरिए अनुुरोध करते हैं कि वो उनके क्यूआर को स्कैन करके अलीबाबा ग्रुप के अली पे या टैन्सेंट के वी-चैट वॉलेट के माध्यम से उन्हें भीख दें। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक- इससे बाजार भी जुड़ गया है। इससे भिखारियों को यह फायदा हो रहा है कि अगर कोई भीख नहीं भी देता तो वो स्पाॅन्सर्ड कंपनी से मिलने वाले पैसों से अपना गुजरबसर आराम से कर सकते हैं।
इसी क्यूआर कोड से खरीदते हैं दुकान से सामान
यह क्यूआर कोड भिखारियों के लिए एक वरदान भी साबित हो रहा है। भिखारियों को अपना खाता संचालित करने के लिए मोबाइल फोन की जरूरत नहीं है। ईवॉलेट के पैसे वे इस क्यूआर कोड की मदद से खर्च कर सकते हैं। इसी के जरिए वे किराना दुकान या अन्य स्टोर्स से सामान खरीद सकते हैं।
Updated on:
19 Jul 2019 09:30 am
Published on:
17 Jul 2019 03:24 pm
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