
एक सदी की सबसे अनूठी आत्महत्याओं में से एक थी इस 'रहस्यमयी बंदर' की आत्महत्या!
नई दिल्ली। पशु विशेषज्ञ जेरेमी क्ले बंदरों को पालतू बनाए जाने की बात को सही नहीं मानते हैं। वे इसकी कई वजहें बताते हैं लेकिन, 19 वीं सदी की ये विचित्र घटना विशेष रूप से चेतावनी देने वाली है। इसपर एक कहानी बहुत मशहूर है। रॉकवेल साइरॉक नाम के एक आदमी को सार्वजनिक रूप से होने वाली फांसी को दर्शकों की भीड़ में शामिल होकर देखने का बड़ा ही शौक था। उसके पास एक पालतू बंदर तह जिसका नाम जोको था उसको भी सार्वजनिक रूप से होने वाली फांसी देखना बहुत अच्छा लगता था। मालिक और बंदर दोनों खाली दिनों में विक्टोरियन उत्तरी कैरोलिना के शहरों का दौरा किया करते थे। जोको गोल्ड्सबोरो में अपने घर के आसपास मीलों तक बच्चों और बड़ों में खासा लोकप्रिय था। वह भी अपने मालिक की तरह फांसी लटकाए जाने के आयोजन में गहरी दिलचस्पी लेता था।
आ गया आत्महत्या का वो दिन
यह साल 1880 की गर्मियों की बात है एक दिन साइरॉक ने एक सज़ायाफ्ता हत्यारे की फांसी देखने की योजना बना रखी थी। लेकिन राज्य के अधिकारी ने फांसी की सजा को टाल कर उसकी योजनाओं पर पानी फेर दिया। साइरॉक काफ़ी हताश था। उसने एक ऐसा सीन निर्मित किया जिसमें वो फांसी का इंतजार कर रहे व्यक्ति को सूली पर चढ़ते करीब से देख रहा है।
जोको भी आंखें फाड़कर अपने मालिक को फांसी का मचान और फंदा बनाते देख रहा था। घर वापस आने के बाद जोको अपने मालिक के साथ व्यस्त हो गया। लेकिन बाद में जोको इमारत की छत पर गले में कपड़े का फंदा डाले हुए मृत पाया गया। वो अपने ही प्रयोग का शिकार हो गया था। उसका यह एक निजी प्रयास विकासवादी सिद्धांत की सफलता से कम नहीं था। लिवरपूल इको के द्वारा इसे 'सदी का सबसे अनूठे आत्महत्याओं में से एक' कहे जाने को तत्काल खारिज कर दिया गया। इस तरह से 19 वीं सदी के पालतू पशुओं की देखभाल का एक सबसे निराशाजनक प्रकरण खत्म हो गया था।
Published on:
31 Oct 2018 03:04 pm
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