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अजब गजब

मौत के बाद शव को दफनाने और जलाने के पीछे यह है रहस्य, जानकर रह जाएंगे दंग

शरीर को दफन करने के पीछे कई कारण बताए गए हैं। हिंदुओं में शव को जलाने की प्रथा है क्योंकि हिंदुओं में अग्नि को देवता माना जाता है।

Sep 20, 2018 / 03:30 pm

Arijita Sen

funeral

मौत के बाद शव को दफनाने और जलाने के पीछे यह है रहस्य, जानकर रह जाएंगे दंग

नई दिल्ली। दुनिया का परम सत्य मौत है। जिसने भी जन्म लिया है उसकी मृत्यु निश्चित है। इंसान के मर जाने के बाद धर्म के अनुसार उसका अंतिम संस्कार कर दिया जाता है ताकि उसकी आत्मा को शान्ति मिल सकें। जैसा कि हम जानते हैं कि, मृत्यु के बाद कोई शव को जला देता है तो कोई उन्हें दफना देता है। वहीं कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो शव को जीवों द्वारा खाने के लिए भी छोड़ देते हैं।

mummy

अगर हम प्राचीन मिस्त्र की सभ्यता की बात करें तो वे शव की ‘ममी’ बनाकर उसे एक संदूक में बंद कर दफना देते थे। ऐसा वे इसलिए करते थे क्योंकि उनका ऐसा मानना था कि शरीर त्यागने के बाद आत्मा इधर-उधर भटकती रहती है। ऐसे में वे उसके रहने के लिए एक निश्चित स्थान का बंदोबस्त करते थे। प्राचीन मिस्त्र में शव के साथ-साथ कुछ जरुरत की चीजों को भी उसके साथ दफना देने की प्रथा का चलन था। इनमें उनकी मनपसंद चीजें, जरूरी वस्तुएं और तो और उनके नौकरों को भी दफना दिया जाता था क्योंकि ऐसी मान्यता थी कि जब आत्मा किसी दूसरे शरीर में पुनर्जन्म लेगी तब वह इन सारी वस्तुओं का इस्तेमाल कर सकेगी।

Grave

मिस्त्र के बाद यूनानी एवं रोमन सभ्यताओं का दौर आया। वे शरीर को दफनाने की जगह उसे जलाने की प्रथा का पालन करने लगे। हालांकि बाद में इस्लाम ने शव को जलाने की प्रथा का बहिष्कार किया।

शरीर को दफन करने के पीछे कई कारण बताए गए हैं। सबसे पहले इसे विदाई देने का सबसे साफ एवं सुरक्षित तरीका बताया गया है क्योंकि मरने के बाद बॉडी को दफनाने से वह धीरे-धीरे मिट्टी में मिलकर प्राकृतिक रूप से खत्म हो जाता है। इससे वातावरण को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है। किसी प्रकार का कोई प्रदूषण भी नहीं फैलता है।

burial

हिंदुओं में शव को जलाने की प्रथा है क्योंकि हिंदुओं में अग्नि को देवता माना जाता है। इसीलिए पूजा,यज्ञ, हवन, शादी इत्यादि सभी पवित्र कार्यों में अग्नि को बेहद महत्व दिया जाता है।

हिन्दू धर्म में शव को जलाते समय अग्नि देव से इस बात की प्रार्थना की जाती है कि, अग्नि देव शरीर के पांच अहम तत्वों पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश को अपने में ग्रहण कर लें और उन्हें एक नया जीवन प्रदान करें।

हिंदुओं के साथ-साथ सिख और जैन धर्म में भी मृत्यु के बाद 24 घंटे के अंदर शव को जला दिया जाता है।

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