22 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

दुर्लभ कछुओं को बचाने के लिए डीआरडीओ ने टाला मिसाइलों का परीक्षण

वन्यजीव संरक्षण : अगले वर्ष जनवरी से मार्च के बीच होता है कछुओं का प्रजनन काल

less than 1 minute read
Google source verification
दुर्लभ कछुओं को बचाने के लिए डीआरडीओ ने टाला मिसाइलों का परीक्षण

दुर्लभ कछुओं को बचाने के लिए डीआरडीओ ने टाला मिसाइलों का परीक्षण

भुवनेश्वर. रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (डीआरडीओ) ओडिशा के तटीय व्हीलर द्वीप पर अगले वर्ष जनवरी से मार्च तक मिसाइल परीक्षण नहीं करेगा। डीआरडीओ ने यह निर्णय इसलिए लिया, क्योंकि यह लुप्तप्राय प्रजाति के समुद्री कछुवे ओलिव रिडले के प्रजनन काल होता है और वे अपने घर बनाते हैं। प्रधान मुख्य वन संरक्षक सुशांत नंदा ने बताया कि मिसाइल परीक्षण में तेज रोशनी, गडगड़़ाहट और मशीनों की आवाजाही से कछुए विचलित होते हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक इस वर्ष लगभग 5 लाख ओलिव रिडले ने घोसला (मिट्टी में घर) बनाया है। इतना ही नहीं डीआरडीओ ने इनकी हिफाजत के लिए वन विभाग के साथ समन्वय के लिए एक नोडल अधिकारी भी नियुक्त किया है। इतना ही नहीं सेना और तटरक्षक बलों को भी तैनात किया गया है। ये मछली पकडऩे वाली नौकाओं को तटों के नजदीक जाने से रोकने के लिए गश्त करेंगे, जहां कछुए अंडे देते हैं।

क्यों होता है कछुओं का शिकार?
छोटे कछुओं का शिकार खाने और उनके तेल के लिए किया जाता है। वहीं बिना सेते हुए अंडे और उनके शेल्स रेत पर उर्वरक के रूप में काम करते हैं। नंदा ने कहा, 'कछुओं का घोंसला बनाने का स्थान व्हीलर द्वीप के करीब है। चूंकि मिसाइल परीक्षण में तेज रोशनी और गडगड़़ाहट की आवाज शामिल होती है, इसलिए कछुए विचलित हो जाते हैं।'

मुख्य सचिव ने जारी किया आदेश
ओडिशा के मुख्य सचिव पी. के. जेना की अध्यक्षता वाली एक समिति ने शुक्रवार को ओलिव रिडले घोंसले के मौसम के दौरान ओडिशा तट से दूर व्हीलर द्वीप पर मिसाइल परीक्षण रोकने के निर्णय और कमजोर समुद्री कछुओं को बचाने के लिए अन्य उपायों की घोषणा की।