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फांसी के फंदे पर दोषियों को लटकाने के लिए यहां लोगों में दिखा खासा उत्साह, जल्लाद बनने के लिए लगी होड़

दो रिक्त पदों के लिए 100 लोगों ने आवेदन किया जल्लाद बनने के लिए लोग काफी उत्साहित हैं

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फांसी के फंदे पर दोषियों को लटकाने के लिए यहां लोगों में दिखा खासा उत्साह, जल्लाद बनने के लिए लगी होड़

नई दिल्ली। किसी को अपने हाथों से फांसी पर लटकाना कोई आसान काम नहीं है। इसके लिए तीव्र मनोबल और साहस की आवश्यकता पड़ती है। यह काम कितना कठिन होता है उसे केवल एक जल्लाद ही समझ सकता है जो कि अपने हाथों से किसी को फांसी के फंदे पर लटकाता है और उसे अपने ही आंखों के सामने छटपटाते हुए प्राण का त्याग करते हुए देखता है।

हालांकि मजबूरन लोगों को न चाहते हुए भी कई काम करने पड़ते हैं। यानि कि आसान शब्दों में जल्लाद बनना कोई साधारण या आम बात नहीं है। बहरहाल आज हम आपको एक ऐसे देश की बात बताने जा रहे हैं जहां जल्लाद बनने के लिए लोग काफी उत्साहित हैं।

बता दें, हम यहां श्रीलंका की बात कर रहे हैं। यहां जल्लाद के पद के लिए दो रिक्तियां निकाली गई और इन पदों के लिए 100 आवदेन आएं। इनमें से एक आवेदन किसी अमरीकी नागरिक का भी है।

दरअसल, श्रीलंका में फांसी की सजा कानूनी रुप से वैध है। इसके बावजूद साल 1976 से इस देश में किसी को भी फांसी नहीं दी गई।

इसका कारण यह है कि एक तो यहां कोई स्थायी जल्लाद नहीं है और पहले जो जल्लाद था वह फांसी के मंच और तख्ते को देखकर इस कदर सहम गया कि उसने इस्तीफा दे दिया था और यह भी पांच साल पुरानी बात है। किसी दूसरे आदमी को पिछले साल रखा गया था, लेकिन वह भी कभी नौकरी पर नहीं आया।

मादक पदार्थों की तस्करी के मामले में 48 दोषियों को फांसी की सजा सुनाई गई थी। इनमें से 30 लोगों ने आगे अपील की है और बाकी बचे 18 अपराधियों को सजा दी जानी है। साल 2004 से बलात्कार, मादक पदार्थों की तस्करी और हत्या को बड़ा अपराध मानने के बाद भी दोषियों को आजीवन कारावास की सजा ही सुनाई गई है।

हालांकि आवेदनों की भरमार को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि सरकार की इस समस्या का हल जल्द ही निकाला जा सकेगा। श्रीलंका के न्याय और कारागार सुधार मंत्रालय ने इस बात की घोषणा की है कि सुरक्षा कारणों के चलते चुने गए लोगों के नाम और साक्षात्कार के तारीख की घोषणा नहीं की जाएगी। यहां आपको बता दें कि इस पद के लिए आवदेन करने की आखिरी तारीख 25 फरवरी रखी गई थी।