21 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

इस वक्त श्मशान के पास से गुजरने पर नाराज होते हैं शिव जी और काली मां, रहते हैं इस काम में लीन

इस प्रक्रिया में किसी जीवित इंसान की उपस्थिति बाधा डाल सकती है। ऐसे में उस व्यक्ति को मां काली के प्रकोप का सामना करना पड़ सकता है।

3 min read
Google source verification

image

Arijita Sen

Jan 02, 2019

demo pic

इस वक्त श्मशान के पास से गुजरने पर नाराज होते हैं शिव जी और काली मां, रहते हैं इस काम में लीन

नई दिल्ली। आत्मा की शान्ति के लिए अन्तिम संस्कार करना बेहद महत्वपूर्ण है। हर धर्म में इसके अपने कुछ नियम है जिसका पालन लोग सदियों से करते आ रहे हैं। हिंदुओं में मृत्यु के बाद शव को श्मशान घाट में ले जाकर उसका दाह संस्कार कर दिया जाता है। श्मशान वह स्थान है जहां आत्माएं भटकती रहती हैं। अघोरी भी तंत्र साधना के लिए श्मशान भूमि को ही उत्तम मानते हैं। इस वजह से अकसर बड़े-बुजुर्ग हमें यह सलाह देते हैं कि सूरज ढलने के बाद श्मशान घाट या उसके पास से न गुजरने में ही भलाई है।

प्राचीन मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव और मां काली को श्मशान भूमि का भगवान माना गया है। यहीं वह जगह है जहां शिव जी भस्म से पूरी तरह ढककर ध्यान करते हैं और मां काली बुरी आत्माओं का पीछा करती हैं।

प्राचीन मान्यताओं में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि, अंतिम संस्कार के बाद महादेव मृत को अपने भीतर समाहित कर लेते हैं। इस प्रक्रिया में किसी जीवित इंसान की उपस्थिति बाधा डाल सकती है। ऐसे में उस व्यक्ति को मां काली के प्रकोप का सामना करना पड़ सकता है।

हिंदू शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि, जरुरत न पड़े तो दिन के समय में भी श्मशान घाट के आसपास न भटकें क्योंकि दिन के समय में भी यहां बुरी आत्माओं का सामया रहता है। नकारात्मक शक्तियां उस समय भी सक्रिय रहती हैं। इंसान के लिए उनका सामना करना संभव नहीं है।

मानसिक या भावनात्मक रुप से कमजोर व्यक्ति पर इनका प्रभाव ज्यादा शक्तिशाली होता है।नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव जिंदगी में पड़ने से इंसान का जीना दुश्वार हो जाता है। इससे पीछा छुड़ाना आसान नहीं है।

हिंदू धर्म में अंतिम संस्कार को लेकर कुछ और नियम तय किए गए हैं जिन्हें हमेशा ध्यान में रखना चाहिए। जैसे कि अगर किसी की मौत दिन के समय में हो जाती है तो शव का अंतिम संस्कार 9 घंटे के भीतर कर दिया जाना चाहिए। इसके विपरीत यदि किसी की मृत्यु रात में हुई है तो उसका अंतिम संस्कार 9 नाजीगई (1 नाजीगई-24 मिनट) में किया जाना चाहिए।

इसके साथ ही अंतिम संस्कार करने में बहुत जल्दबाजी नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसा माना जाता है कि कई बार यमराज गलती से किसी आत्मा को लेते जाते हैं ऐसे में उसे वापस धरती पर पहुंचा दिया जाता है।

यदि किसी गर्भवती महिला की मौत हो जाती है तो ऐसे में उसके पति को अंतिम संस्कार के क्रियाकलापों से दूर रहना चाहिए और तो और उसे श्मशान घाट भी नहीं जाना चाहिए।

इन सबके अलावा अगर किसी की मृत्यु दक्षिणायन, कृष्ण पक्ष, रात्रि में हुई हो तो इसे दोष माना जाता है। इस दोष का निवारण करने के लिए ब्राह्मणों को भोज, व्रत या दान-पुण्य करना चाहिए।