
किन्नरों के हाथ का कौर दे सकता है मुसीबतों को आमंत्रण, गरूड़ पुराण में दी गई है इस काम को न करने की नसीहत
नई दिल्ली। वैष्णव सम्प्रदाय से सम्बन्धित गरूड़ पुराण में कई तरह की शिक्षाएं प्रदान की गई हैं। भगवान विष्णु की भक्ति और उनके ज्ञान पर आधारित इस पुराण का पाठ हर किसी को करना चाहिए। संत वेदव्यास द्वारा रचित 18 पुराणों में से एक गरूड़ पुराण हमें कई अहम बातें सिखाता है।
गरूड़ पुराण में इंसान के भोजन करने से संबंधित कई बातें बताई गई हैं। कई ऐसी जगहें और लोग हैं जहां भोजन न ग्रहण करने की बात का वर्णन इसमें किया गया है। आज हम इसी बारे में आपको बताने जा रहे हैं।
इंसान एक सामाजिक प्राणी है और इस नाते लोगों से घुलना मिला जायज है। अकसर हम एक-दूसरे के घरों में भोजन करने जाते हैं, हम अन्य लोगों को भी अपने घरों में आमंत्रित करते हैं।हम जिस प्रकार के लोगों के साथ उठते बैठते हैं उसका एक प्रभाव हम पर पड़ता है। ठीक इसी तरह से हम जब किसी के यहां भोजन ग्रहण करते हैं तो हमारे आचार-विचार भी कुछ हद तक परिवर्तित होते हैं।
कुछ जगहें ऐसी होती हैं जहां खाना खाने से इंसान का चरित्र और मस्तिष्क दूषित हो जाता है। इसका एक नकारात्मक प्रभाव इंसान की सोच पर पड़ता ही है।
गरुण पुराण में कुछ ऐसे लोगों का भी वर्णन किया गया है जिनके हाथ से बने हुए भोजन को न खाने की नसीहत दी गई है। अगर कोई ऐसा करता है तो उसका मन-मस्तिष्क संक्रमण की ओर बढ़ जाता है।
यह बात सच है कि भारतीय संस्कृति में किन्नरों को दान करना शुभ बताया गया है। धर्म-ग्रंथों में किन्नरों की महत्ता को स्वीकारा गया है। अब चूंकि उन्हें एक अहम दर्जा प्राप्त है तो ऐसे में कौन अच्छा है या कौन बुरा, इसका पता लगाना मुश्किल हो जाता है इसलिए किन्नरों के घर भोजन करने को निषेध किया गया है।
Published on:
25 Feb 2019 01:32 pm
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