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पहाड़ों पर मिरर लगाकर यूं किया अंधेरे गांव को रोशन

1476 फीट की ऊंचाई है रजुकान (Rjukan) से इस दर्पण (mirror) शृंखला की।538 वर्ग फीट में लगाए गए हैं मिरर, जो कस्बे के 2150 वर्ग फीट क्षेत्र को रोशन करते हैं। 10 सेकंड में सन मिरर (sun mirror) की दिशा बदली जाती है सूर्य के अनुरूप06 करोड़ रुपए की लागत आई दर्पण लगाने पर

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Pushpesh Sharma

Mar 15, 2020

पहाड़ों पर मिरर लगाकर यूं किया अंधेरे गांव को रोशन

पहाड़ों पर मिरर लगाकर यूं किया अंधेरे गांव को रोशन

जयपुर.

सूर्य न केवल ऊर्जा का स्रोत है बल्कि प्राकृतिक नियंता भी है। लेकिन पृथ्वी पर ऐसे भी स्थान हैं, जहां वर्ष में कुछ महीने ही सूरज की रोशनी मिलती है। ऐसा ही है आर्कटिक सर्कल के उत्तर में स्थित नॉर्वे का टॉम्सो शहर, जहां हर वर्ष नवंबर से जनवरी तक तीन महीने सूरज नहीं दिखता। सीधे शब्दों में कहें तो उत्तरी गोलाद्र्ध में होने के कारण इसे भौगोलिक नुकसान उठाना पड़ता है। लेकिन यदि आप इससे दक्षिण में चलेंगे तो नॉर्वे का रजुकान गांव आता है, जो छह माह तक सूर्य की रोशनी की बिना रहता है। इसके पीछे एक बड़ी वजह यह भी है कि ये दो ऊंचे पहाड़ों के बीच बसा है। सदियों तक लोग यहां अंधेरे में रहे, लेकिन तकनीकी विशेषज्ञों ने इस मुश्किल को सन मिरर लगाकर हल किया। सूर्य के प्रकाश की दिशा में पहाड़ों पर विशाल सन मिरर की शृंखला लगाई गई, जिससे सूर्य की किरणों परावर्तित होकर पहाड़ी की तलहटी में उजाला होता है।

एक सदी पुराना आइडिया
मार्टिन एंडरसन पहले व्यक्ति थे, जो रजुकान में सूर्य का प्रकाश नहीं देखकर बेचैन हो गए। इसके बाद उन्होंने स्थानीय अधिकारियों की मदद से 8 लाख डॉलर की लागत से सन मिरर लगवाए। मिरर भले ही एंडरसन ने लगवाए, लेकिन यह आइडिया एक सदी पहले यहीं के इंजीनियर सैम आइड का था। हालांकि 1928 में केबल कार के जरिए सूरज के दर्शन करने लोग ऊपर तक पहुंचते थे। अब यहां दिनभर सूर्य का प्रकाश देखा जा सकता है।

पर्यटन बढऩे से दोहरा उजाला
ये दर्पण 538 वर्ग फुट के क्षेत्र में लगाए गए हैं, जो शहर के 2150 वर्ग फीट क्षेत्र को रोशन करता है। शेष इलाके में इसका उजाला मिल पाता है। जिस रजुकान में लोगों का जीवन अंधेरे में गुजर रहा था, वहां अब पर्यटन बढऩे से लोगों के जीवन में दोहरा उजाला हो गया है।