
कलियुग में केवल किन्नर पहुंचा सकते हैं इंसान को फर्श से अर्श तक, शिव और शक्ति के युग्मक का फल है ये तीसरी योनि
नई दिल्ली। नवग्रहों की बात हम सभी जानते हैं और यह भी हमें पता है कि हर ग्रह की अपनी कुछ विशेषताएं हैं, लेकिन बुध एक ऐसा ग्रह है जिसे प्राण वायु और प्रकृति की संज्ञा प्राप्त है। बुध ही वह ग्रह है जो जीवन और लड़का या लड़की में भेद करता है। कुंडली में इस ग्रह के कमजोर होने पर ही किन्नर की उत्पत्ति होती है। किन्नर को हम तीसरी योनि या अर्धनारीश्वर के नाम से भी जानते हैं। शिव और शक्ति के युग्मक का फल है किन्नर।
किन्नरों को ऐसी शक्ति प्राप्त है कि वे नकारात्मक या नेगेटिव उर्जा को खत्म कर सकते हैं। कलियुग एक ऐसा युग है जिसमें केवल किन्नरों को ही यह वरदान प्राप्त है कि वे रंक को राजा या राजा को रंक बना सकते हैं। इस युग में जिसमें हम जी रहे हैं उसमें किन्नरों के श्राप और वरदान दोनों ही फलित होते हैं इसलिए इन पर हंसने या बुरा बर्ताव करने से पहले एक बार जरूर सोचें।
किन्नर अगर आप से खुश हो जाए तो जी भर के आशीष देते हैं और नाराज हो जाए तो बददुआ भी देते हैं। इस युग में इनकी दुआ इंसान को फर्श से अर्श तक लेकर जा सकती है।
इसलिए किन्नरों की सेवा बहुत मायने रखती है। मंगल और बुध को ठीक करने के लिए किन्नरों की भरपूर सेवा करें। काफी लंबे समय से यदि कोई व्यक्ति बीमार है तो उसे हरे मूंग का दान किन्नरों को करना चाहिए। जिन लड़कियों की शादी में देर हो रही है उन्हें किन्नरों को हरी चूड़ियों का दान करना चाहिए।
ज्योतिषशास्त्र या अपनी भलाई से हटकर अगर हम बात करें तो यह ईश्वर पर है कि वह किसको कैसा बनाएगा। किसी की कमी को देखकर हंसना खुद पर हंसने के समान है। इससे मानवता भी शर्मशार होती है।
Published on:
11 Jan 2019 03:32 pm
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