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पगार में मिली सिर्फ बीयर और बना डाले दुनिया के अजूबे पिरामिड

आपको जानकर हैरानी होगी कि प्रचीन मिस्त्र में लोगों को तनख्वाह के रूप में सिर्फ बीयर पीने को मिलती थी। बीयर को अन्य नामों से पुकारा जाता था। इनमें 'हेकेट' और 'तेनेमू' नाम मुख्य थे।

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raghuveer singh

May 23, 2016

आपको जानकर हैरानी होगी कि प्रचीन मिस्त्र में लोगों को तनख्वाह के रूप में सिर्फ बीयर पीने को मिलती थी। बीयर को अन्य नामों से पुकारा जाता था। इनमें 'हेकेट' और 'तेनेमू' नाम मुख्य थे।

मजदूरों को दिन में तीन बार बीयर दी जाती थी। बताया जाता है कि मिस्त्र में युवाओं और बुजुर्गों के अलावा बच्चे भी बीयर बड़े चाव से पीते थे।

इस तरह ये अपने आप में हैरान करने वाली बात है। लेकिन दावा हमारा नहीं, बल्कि इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारियों और एक अंग्रेजी साइट का है। दोनों के मुताबिक प्रचीन मिस्त्र में बीयर को ही पगार के रूप में दिया जाता था।

इस तरह प्राचीन गीजा पिरामिड बनाने वाले मजदूरों ने पगार में बीयर मिली और उसे ही पीकर अजूबे पिरामिड खड़े कर दिए। ख़बर के साथ लगी आज से करीब 2200 ईसा पूर्व की तस्वीर आपको और भी हैरान कर सकती है।

इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारियों और एक अंग्रेजी साइट की मानें तो ऐसी बीयर आज की पारंपरिक बीयर से अलग होती थी। वो तीखी और कड़वी नहीं होती थी।

बीयर का टेस्ट मीठा होता था। ये भी कहा जाता है कि बीयर नशीला पदार्थ नहीं, बल्कि पोषण के लिए अच्छी मानी जाती थी। उस समय के त्योहारों और उत्सवों पर जमकर बीयर का सेवन किया जाता था।