5 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

कई लोगों की ज़िंदगियां बर्बाद कर चुका है ‘काजू,’ आपके किचन तक पहुंचने में तय करता है ये कठिन सफर

काजू को दुकान तक पहुंचाने में चार प्रोसेस में से होकर गुजरना पड़ता है इस काम को करने में धैर्य के साथ-साथ कड़ी मेहनत करने की भी जरूरत पड़ती है गरीब मजदूरों को इस काम को करने के लिए नहीं मिलता उतना पैसा

3 min read
Google source verification
काजू

कई लोगों की ज़िंदगियां बर्बाद कर चुका है 'काजू,' आपके किचन तक पहुंचने में तय करता है ये कठिन सफर

नई दिल्ली। शायद ही कोई ऐसा हो जिसे काजू पसंद नहीं हो। भूना हुआ काजू, काजू बर्फी , खीर या हलवे में भी इसे डालकर लोग खूब खाते हैं। हालांकि बाजार से जो काजू आप खरीद कर लाते हैं वह वास्तव में ऐसा नहीं होता है। जिस तरह मूंगफली के बाहर एक सख्त आवरण होता है उसी तरह काजू के बाहर भी एक ऐसा खोल होता है जो कि बहुत सख्त होता है।

दरअसल, काजू कठोर खोल की दो परतों में बंद होता है। इनके बीच ऐनाकार्डिक नाम का एक नेचुरल एसिड होता है। इसका रंग पीला होता है और जब इसे तोड़ा जाता है तो यह हाथों को जला देता है। हथेली पर इस एसिड के गिरते ही तेज जलन होने लगती है। हाथों में छाले पड़ जाते हैं।

पौधे से काजू को तोड़ने के बाद उसे कुछ देर के लिए भाप में रखा जाता है। इसके बाद पूरे 24 घंटे छांव में सुखाया जाता है और इसके बाद जाकर इसे छीला जाता है। अंत में आकार के हिसाब से इन्हें छांटकर अलग किया जाता है। फिर इन्हें पैक कर दुकानों को सप्लाई किया जाता है।

इस काम को करने वाले मजदूर बहुत गरीब होते हैं। हमें बाजार में काजू 1200 से 2000 रुपये प्रति किलो के दर से मिलता है जबकि इन मजदूरों को इस काम के लिए बहुत ही कम पैसा मिलता है।

एक अखबार में इंटरव्यू देने के दौरान पुष्पा नामक महिला जो कि इस काम से काफी लंबे समय से जुड़ी हुई हैं वह कहती हैं कि उनके हाथों पर जलने जैसे निशान हो चुके हैं। पेट पालने के लिए वह दूसरे घरों में भी काम भी करती हैं। हाथ से खाना खाने पर उनके हाथ में बेहद दर्द होता है जिस वजह से उन्हें चम्मच का सहारा लेना पड़ता है।

पुष्पा जैसे और भी कई लोग ऐसे हैं जिन्हें काजू छीलने से हम तक पहुंचाने में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। ऐनाकार्डिक काजू से नाखूनों में घाव हो जाने से इंफेक्शन भी हो जाता है, लेकिन फिर भी इन मजदूरों को मजबूरी में इस काम को करना पड़ता है।

ये भी पढ़ें: मुसलमानों में बेहद पवित्र माने जाने वाले '786' अंक का भगवान श्रीकृष्ण से है संबंध, सच्चाई कर देगी हैरान