इस किसान ने बेकार समझे जाने वाली पराली का प्रयोग रोजगार का साधन बना लिया। दरअसल एटा के इस किसान ने पराली का प्रयोग मशरूम की खेती करने के लिए किया। इस काम में परिवार के बाकी लोग भी उनका साथ दे रहे हैं।
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एक रिपोर्ट के मुताबिक विनोद चौहान ने जिले के किसानों को खेती करने का नया नज़रिया दिया। विनोद ने पराली को चारा की मशीन को कुटावाकर तैयार किया। इससे बने भूसे का इस्तेमाल मशरूम की खेती के लिए किया गया। जिसे मशूरूम की पैदावार के लिए बिछाया।
हालांकि शुरूआत में विनोद नाम के इस किसान को इस बात का डर था कि कहीं उनकी ये कोशिश असफल साबित न हो जाएं। लेकिन इसके परिणाम सकारात्मक दिखे। पिछले अन्य फसलों की तुलना में इस बार अच्छी मशरूम की फसल आई।
विनोद ने नए प्रयोग के जरिए खेती से 100 दिन में करीब तीन लाख रुपये की बिक्री होने का अनुमान जताया। उन्होंने बताया कि जब मशरूम की खेती बंद हो जाएगी तब भी पराली का प्रयोग किया जाएगा। इस पराली का प्रयोग देशी खाद के रूप में भी किया जा सकता है।
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इस खेती को गेहूं के भूसे से करने के लिए करीब 25 हजार रुपये खर्च करने पड़ते है। लेकिन इस बार पराली भी फ्री में मिल गई। हर वर्ष किसान धान की खेती करने के बाद पराली को जला देता है। जिससे हवा की गुणवत्ता का स्तर काफी खराब हो जाता है।