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अजब गजब

कलयुग का ये चमत्कारिक पत्थर है अनोखा, उठाने वाले की पलट जाती है किस्मत

जब कोई इसको देखता है तो सोचता है कि, मैं इसको एक हाथ से उठाकर फेंक सकता हूं लेकिन इसको उठाने में अच्छे-अच्छों के पसीने छूट जाते हैं।

Sep 10, 2018 / 01:36 pm

Priya Singh

mosta devta shiv temple pithoragarh

कलयुग का ये चमत्कारिक पत्थर है अनोखा, उठाने वाले की पलट जाती है किस्मत

नई दिल्ली। भरता ऐसा देश है जो चमत्कारों से भरा हुआ है, यहां आदि काल से ऐसे किस्से सुनने को मिलते हैं जिनकर यकीन भी नहीं किया जा सकता और नकारा भी नहीं जा सकता। आपने भी अपने बचपन में एक ऐसी पौराणिक कथा सुनी होगी जिसमें बाहुबली अंगद का पैर कोई इसलिए नहीं उठा पाया क्योंकी उसमें से किसी ने जय श्री राम का नारा नहीं लगाया था। ऐसा ही एक उदाहरण रामायण काल का ही ले लीजिए जब राम नाम के पत्थर पानी में तैर गए थे। इस किस्से को तो वैज्ञानिक नहीं नहीं झुठला सके। ठीक इसी तरह आज कलयुग के समय में भी एक ऐसा पत्थर मौजूद है जो सिर्फ 2 फीट का है और इसकी गोलाई लगभग 1 फीट की है। जब कोई इसको देखता है तो सोचता है कि, मैं इसको एक हाथ से उठाकर फेंक सकता हूं लेकिन इसको उठाने में अच्छे-अच्छों के पसीने छूट जाते हैं। आपको हमारी इस बात पर यकीन नहीं हो रहा होगा लेकिन यह 100 प्रतिशत सही है। कोई कितना भी बलवान हो इस पत्थर को उठाना उसके बस की बात नहीं।

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हैरान करने वाली बात यह भी है कि, इस पत्थर के बारे में विज्ञान भी अभी तक कुछ बता नहीं पाया लेकिन, ऐसा माना जाता है कि अगर इस पत्थर को उठाना है तो देवों के देव महादेव का जाप करना होगा। महादेव के नाम का जाप करने पर ही आप इस पत्थर को उठा ही नहीं बल्कि सिर्फ एक उंगली से ही उठा लेंगे। 21वीं सदी में इस बात पर भरोसा करना थोड़ा मुश्किल है। लेकिन इस बात में कोई झूठ नहीं है। दरअसल, यह चमत्कार शिव के धाम पिथौरागढ़ में होता है यह अद्भुत पत्थर दिल्ली से लगभग 550 किलोमीटर दूर स्थित उत्तराखंड के पिथौरागढ़ के ‘मोस्टा मानो मंदिर’ इस मंदिर की माने तो यह एक ऐसा शिव मंदिर जहाँ विज्ञान के सारे नियम फेल हो जाते हैं। लोगों का ऐसा मानना है कि इस पत्थर में बहुत सी अलौकिक शक्तियां मौजूद हैं। पुराणों के अनुसार, मोस्टा देवता भगवान शिव के ही एक रुप हैं, लेकिन चंडाक वन का नाता है मां काली से। पौराणिक कहानियों के अनुसार, शुंभ-निशुम्भ ने मां काली को चुनौती देने के लिए शक्तिशाली राक्षस चंड-मुंड को उनके पास भेजा। इसके बाद, मां काली ने चामुंडा का अवतार लेकर चंड-मुंड का वध कर दिया। मान्यता है कि चंडाक वन ही वो जगह है जहां चंड-मुंड का वध किया गया था। कथाएं जो भी हों लेकिन, इस मंदिर में हो रहे चमत्कार को विज्ञान भी नामसाकर करता है यही क्या कम है।

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