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तिहाड़ जेल में कैदियों को सता रही है अफजल गुरु की रूह, रात होते ही कैदी जपने लगते हैं हनुमान चालीसा

पूजा-पाठ होने के बावजूद भी यहां कैदियों के भूत देखने की शिकायतें कम नहीं हुई है।

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Arijita Sen

Dec 28, 2018

Tihar jail

तिहाड़ जेल में कैदियों को सता रही है अफजल गुरु की रूह, रात होते ही कैदी जपने लगते हैं हनुमान चालीसा

नई दिल्ली।तिहाड़ जेल के बारे में तो आपने सुना ही होगा।करीब 400 एकड़ में फैले इस विशाल परिसर में कुल 12,300 कैदी रहते हैं। दिल्ली में स्थित इस जेल में कुख्यात अपराधियों को रखा जाता है। यहां कुल 10 जेल हैं जिनमें से बैरक नंबर 3 सबसे खास है क्योंकि यहा कैदियों को लगता है कि अफजल गुरु की अतृप्त आत्मा इसी बैरक के आसपास टहल रही है।

भारतीय संसद पर हमला करने के चलते दोषी पाए जाने पर अफजल गुरु को यहीं 9 फरवरी, 2013 की सुबह 8 बजे फांसी पर लटकाया गया। तब से अब तक बैरक नंबर 3 के कैदियों के मन में एक डर बैठ गया है।

यहां कुछ कैदियों का ऐसा कहना है कि अंधेरी रात में उन्हें अफजल गुरु का साया दिखा है। कुछ इसे सच मानते हैं तो कुछ का यह मानना है कि यह वहम के अलावा कुछ और नहीं है।

जेल के हाई सिक्योरिटी जोन में बंद रहे अफजल को जब साल 2013 में फांसी दी गई तब कैदियों के मन में बस उसी की बात चल रही थी।

लोग अफजल के बारे में बात करते रहते। धीरे-धीरे यह उनके दिमाग में बैठ गया और नतीजतन अब उन्हें अफजल का खौफ सताता रहता है। ऐसा बताया जा रहा है कि बैरक नंबर-3 से कभी-कभार चीखने की आवाजें सुनाई देती हैं। कुछ वक्त किसी साये ने पटक-पटकर एक कैदी को मारा था।

ऐसे में तिहाड़ जेल में पूजा-पाठ भी होते रहते हैं ताकि यहां भटकने वाली अतृप्त आत्माओं को शांत किया जा सकें। हालांकि इन सबके बावजूद यहां कैदियों की भूत देखने की शिकायतें कम नहीं हुई है।

न केवल कैदी बल्कि जेल के कुछ अफसरों का भी यह मानना है कि यहां आत्माएं रहती हैं। इनका कहना है कि, जेल में कुछ इस तरह के भी कैदी आए जो कि वाकई में अपराधी नहीं थे, लेकिन वक्त की मार के चलते उन्हें यहां आना पड़ा। इन कैदियों को जेल के कुछ दबंग कैदी इस कदर परेशान करते थे कि उनमें से कई ने जेल के अंदर आत्महत्या कर ली। ऐसे में उन कैदियों की अतृप्त आत्माएं बाकी के कैदियों को सताती रहती हैं।

हालांकि यहां के एक सीनियर अफसर इसे सिर्फ एक वहम मानते हैं। उनका कहना है कि, डर की वजह से इस तरह की अफवाहें उड़ती हैं। अफजल गुरु को जब दफनाया गया था तो धार्मिक रीति रिवाज का पूरा ख्याल रखा गया था। ऐसे में भूत का डर कैदियों का वहम मात्र है और वहम का कोई इलाज नहीं है।

अब वाकई में यह सच है या वहम इस बारे में निश्चित रूप से कुछ कहा नहीं जा सकता है, लेकिन जब भी कैदियों की नजर बैरक नंबर 3 की ओर जाने वाली सुनसान गली की तरफ जाती है तो एक अजीब सा डर उन्हें घेर लेता है।

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