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एक पीले रंग का रुमाल बना था 931 लोगों की मौत की वजह, आज भी दुनिया को इस कहानी पर नहीं होता भरोसा

इतिहास के पन्नों पर एक सीरियल किलर का नाम लिखा गया है जिसे कभी मिटाया और भुलाया नहीं जा सकता।

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behram

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नई दिल्ली। एक सीरियल किलर की प्रवृत्ति कोई नहीं समझ सकता। सीरियल किलर के मन में किसके लिए क्या चल रहा इस बात का पता लगाना बेहद मुश्किल हो जाता है। सीरियल किलर और उनके क़त्ल करने का अंदाज़ उन्हें जितना बेरहम बनाता है उतनी ही मानवीय इतिहास में उनके सीरियल किलिंग की घटनाएं काफी चर्चित और पुरानी होती जाती हैं। लगभग 50 साल पहले 41 हत्याएं करके मुंबई में दशहत फैलाने वाले सीरियल किलर रमन राघव को तो आप जानते ही होंगे। वैसे ही इतिहास के पन्नों पर एक सीरियल किलर का नाम लिखा गया है जिसे कभी मिटाया और भुलाया नहीं जा सकता। रास्ते के हैवान कहे जाने वाले इस सीरियल किलर से हर कोई खौफ खाता था। भारतीय इतिहास में ठग बेहराम नाम के एक सीरियल किलर का नाम दर्ज है। इस पर साल 1790 से 1840 के बीच 931 हत्याएं करने का आरोप लगा था।

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25 साल की उम्र से कत्ल करने वाले ठग बेहराम का हत्या करने का तरीका सबसे अलग था। हर कत्ल बेहराम पीले रुमाल के जरिए गला घोंटकर किया करता था। अपने पीले रुमाल के ज़रिए बेहराम 931 लोगों की हत्या की थी। ठग बेहराम ज्यादातर व्यापारियों, पर्यटकों, सैनिकों और तीर्थयात्रियों को अपना शिकार बनाया करता था। 1790 से 1840 में इतनी हत्याओं को अंजाम देने वाले ठग बेहराम का नाम 'गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड’ में भी दर्ज है। बेहराम अकेले ही इन हत्याओं को अंजाम नहीं देते था। उसने अपना एक गैंग बना रखा था जिसमें करीब 200 लोग उसका सारे जुर्म में साथ दिया करते थे। उसके बढ़ते अत्त्याचार से त्रस्त अंग्रेजी सरकार ने कैप्टन विलियम स्लीमैन को उसे पकड़ने की ज़िम्मेदारी दी। कई अथक प्रयास के बाद आखिरकार उसे 75 वर्ष की उम्र में पकड़ लिया गया। 931 हत्या करने के जुर्म में उसे फांसी की सजा सुनाई गई थी।