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इंसानों के सबसे ज्यादा करीब रहने वाला ये पक्षी आज विलुप्त होने के कगार पर है

आज 20 मार्च, 2018 को वर्ल्ड गौरैया दिवस सेलिब्रेट किया जा रहा है। हमें इस पर विचार करना चाहिए कि प्रकृति की इस खूबसूरती को कैसे बचाया जाए।

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आज मंगलवार को वर्ल्ड गौरैया दिवस मनाया जा रहा है। इस सेलिब्रेशन के जरिए ये संदेश दिया जा रहा है कि गौरैया को ठीक तरीके से रखा जाए, उनका ख्याल रखा जाए। इसके लिए देश और दुनिया में जगह-जगह प्रोग्रामों का आयोजन किया जा रहा है। चिड़ियों के लिए घोंसलें भी तैयार किए जा रहे हैं और कैसे इनका संरक्षण किया जाए इसके बारे में लोगों को जागरूक किया जा रहा है।

घरों में नहीं मिल रहा है, घोंसला बनाने का ठिकाना
मनुष्य समय के साथ-साथ बहुत ज्यादा तरक्की करता जा रहा है और धीरे-धीरे जंगलों को खत्म करता जा रहा है। जंगलों को खत्म करने का असर सीधा जीव-जन्तुओं पर होता है, क्योंकि वो तो अपने लिए पक्के मकान बनाकर रह नहीं सकते हैं। उन्हें तो प्रकृति के अनुसार, ही घर मिलता है और वो उसी में अपना जीवन बिताते हैं। आज पूरी दुनिया में वर्ल्ड गौरैया दिवस मनाया जा रहा है, लेकिन क्या बस एक दिन को सेलिब्रेट करने से इनकी तकलीफें और दिक्कतें दूर हो जाएंगी। क्या इनको रहने के लिए इनके घर मिल पाएंगे, जी नहीं एक दिन में ऐसा कुछ भी नहीं हो पाएगा।

बचाव के लिए उठाने होंगे कदम
आज के समय में इंसान इतना ज्यादा स्वार्थी हो गया है कि अपनी खुशी को देखता और इन जीव जंतुओं का कोई भी ख्याल नहीं रखता है। जबकि गौरैया ऐसा पक्षी है, जो इंसानों से सबसे ज्यादा प्यार करता है और उन्हीं के साथ रहना चाहता है। पहले एक ऐसा समय हुआ करता था जब गौरैया घर के आंगन में उड़ते और शोर करते हुए दिख जाते थे, लेकिन आज ऐसा होना बहुत मुश्किल ही हो गया है। इंसानों ने पक्के मकान, बड़ी-बड़ी इमारतें खड़ी कर ली हैं। जिनमें गौरेया के लिए घौंसला बनाकर रहना बहुत ही ज्यादा मुश्किल है और हालात ऐसे हो गए हैं कि गौरैया आज विलुप्त होने के कागार पर हैं।

इंसानों से भी ज्यादा है मेहनती
गौरैया अपने भोजन की तलाश में 3 से 4 किमी तक की उड़ान तय किया करती थी। सिर्फ एक दिन वर्ल्ड गौरैया दिवस मनाने से कुछ नहीं हो जाएगा बल्कि इस पर विचार किया जाए कि इनको विलुप्त होने से कैसे बचाया जाए। हम जितना ज्यादा प्रकृति की रक्षा करेंगे तभी पृथ्वी की सुंदरता बरकरार रहेगी।