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पुष्पक विमान का रहस्य आज भी है बरकरार, लेकिन इसके होने की सच्चाई को नहीं नकार पा रहे हैं वैज्ञानिक

रामायण के सुंदरकांड के सप्तम अध्याय में पुष्पक विमान के बारे विस्तृत रूप से कहा गया है।

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Arijita Sen

Jan 09, 2019

पुष्पक विमान

पुष्पक विमान का रहस्य आज भी है बरकरार, लेकिन इसके होने की सच्चाई को नहीं नकार पा रहे हैं वैज्ञानिक

नई दिल्ली। भारत के इतिहास में वैसे तो कई सारे विमानों का जिक्र है, लेकिन पुष्पक विमान को इन सबमें श्रेष्ठ माना जाता है। पौराणिक कथाओं में इस विमान के होने की बात कही गई है।बाल्मीकि द्वारा रचित रामायण में ऐसा कहा गया है कि देवताओं के शिल्पकार विश्वकर्मा ने इसका निर्माण किया था। इस विमान को बनाकर उन्होंने ब्रह्मा को भेंट किया। ब्रह्मा ने इस विमान को लोकपाल कुबेर को दिया और रावण ने कुबेर से इसे छीन लिया।

रामायण के सुंदरकांड के सप्तम अध्याय में पुष्पक विमान के बारे विस्तृत रूप से कहा गया है। पुष्पक विमान की सजावट करने के लिए तरह-तरह के बहुमूल्य रत्नों का इस्तेमाल किया गया था। इन रत्नों से कई प्रकार के पक्षी और अलग-अलग प्रजातियों के सर्प इस पर बनाए गए थे। इसके साथ ही रत्नों से पुष्पक में कई घोड़े भी बनाए गए थे।

पुष्पक एक चमत्कारी वाहन था। यह मन की गति से चलता था। यानि कि किसी जगह के बारे में महज सोचने से वह उस स्थान पर पहुंचा देता था। इससे आप समझ सकते हैं कि यह एक दिव्य विमान था। सिर्फ इतना ही नहीं यह स्वामी की इच्छा के अनुसार छोटा या बड़ा भी हो सकता था। शायद इसी के चलते रावण की पूरी सेना इस पर सवार होकर एक स्थान से दूसरे स्थान का भ्रमण कर सकती थी।

पुष्पक विमान की गति को मन के अनुसार कम या ज्यादा किया जा सकता था। वायु के समान वेगपूर्वक आगे बढ़ने वाला पुष्पक को पाना आसान नहीं था। केवल बड़े-बड़े तपस्वियों और महान आत्माओं को ही यह प्राप्त हो सकता था। सोने से निर्मित इस विमान की बात ही कुछ और थी।

पौराणिक कथाओं के बारे में विज्ञान की खोज करने वालों का ऐसे मानना है कि पहले के जमाने में विज्ञान और भी अधिक उच्चकोटि का हुआ करता था। ऐसे में इस बात को नकारा नहीं जा सकता कि इस प्रकार को कोई वाहन नहीं था। हालांकि इसकी मौजूदगी का कोई प्रमाण अभी तक नहीं मिल सका है।

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