
अब हाथ से 'ओके' का इशारा किया तो विदेश में हो सकती है कार्रवाई
मूक-बधिरों और डाइविंग के दौरान उपयोग में लिए जाने वाले ओके के चिन्ह को अभी तक हम एक पारंपरिक इशारा भर ही मानते आए हैं। लेकिन अब इसका उपयोग करने पर आपको नफरत फैलाने वाले चरमपंथी माना जा सकता है। इतना ही नहीं इसके लिए आप पर कुछ देशों में कठोर कार्रवाई भी हो सकती है। हाल के दिनों में अमरीका समेत फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन जैसे देशों में श्वेत चरमपंथी विचारधारा के समर्थकों ने सार्वजनिक रूप से निर्दोष लोगों की हत्या की है। ऐसे में गन वायलेंस रोकने और युवाओं को ऐसे संगठनों का शिकार होने से बचाने के लिए विभिन्न देशों की सरकारें कड़े कदम उठा रही हैं। अमरीकी राष्ट्रपति चुनाव के प्रचार के दौरान भी सोशल मीडिया पर ओके का इस्तेमाल प्रतिद्वंद्विक्ष्यों के खिलाफ जमकर किया गया। इसलिए अब एक यहूदी नागरिक अणिकर संगठन ने ओके समेत 35 घृणा फैलाने वाले चिन्हों की सूची जारी की है। संगठन नफरत फैलाने वाले प्रतीकों का डेटाबेस तैयार करता है।
ओके और कटोरा कटिंग प्रतिबंधित
'ओके' का इशारा अंगूठे और उसके साथ की उंगली को मिलाने और तीन उंगलियों की खड़ी मुद्रा से बनता है। हाल के दिनों में श्वेत वर्चस्व का परचम लहराने वाले संगठनों और इस विचारधारा में विश्वास रखने वाले युवाओं ने तीनों खड़ी उंगलियों को डब्ल्यू (व्हाइट) और अंगूठे से बने प्रतीक को पी (पॉवर) के रूप में प्रदर्शित कर इंटरनेट के जरिए समर्थन जुटाने का प्रयास किया है। इसलिए अब ओके को एंटी-डिफैक्शन लीग के 'हेट ऑन डिस्प्ले' डेटाबेस में घोर चरमपंथ से जुड़े अन्य चित्रों और नारों से जोड़ा गया है। संगठन ने ओके के अलावा 'डायलन रूफ बाउलकट' जिसे भारत में कटोरा कंटिंग भी कहते हैं, को भी इस सूची में जोड़ा है। इस डेटाबेस में नए प्रतीकों में से ज्यादातर ऑल्ट-राइट से जुड़े हुए हैं। एडीएल के वरिष्ठ अधिकारी मार्क पिटकैवेज ने बताया कि इनमें से कई प्रतीक तो मुख्यधारा के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे व्हॉट्स ऐप और फेसबुक पर भी वायरल हो गए। ये इन दिनों ट्रेंड में चल रहे वे प्रतीक हैं जो नफरत फैलाने वाली विचारधारा और श्वेत वर्चस्व का समर्थन करने वाले लोगों ने नेटवर्क बनाने के लिए इस्तेमाल की है।
ये प्रतीक भी शामिल हैं
एंटी-डिफैक्शन लीग के 'हेट ऑन डिस्प्ले' डेटाबेस में स्वास्तिक का प्रतीक, आर्य ब्रदरहुड लोगो और नाज़ी पार्टी फ्लैग भी घोर चरमपंथ और नफरत फैलाने वाले चिन्हों के रूप में दर्ज किए गए हैं। ओके को इस सूची में डालने का विचार अंगूठा और तर्जनी को छूकर बनाया गए इशारे को गुप्त रूप से श्वेत वर्चस्व के प्रतीक के रूप में उपयोग करने के बाद आया। यह इंटरनेट पर वायरल होने और लोगों की भावनाओं को उकसाने के लिए एक ट्रोल अभियान के रूप में शुरू हुआ।
सार्वजनिक रूप से इस्तेमाल
इंटरनेट पर वायरल होने के बाद ओके प्रतीक श्वेत वर्चस्ववादियों के लिए अपनी जैसी विचारधारा के लोगों को भीड़ में तलाशने, सोशल मीडिया पर खोजने और युवाओं को विश्वास में लेने के लिए दुनिया भर के देशों में अपनाया जाने लगा। इतना ही नहीं राजनीति और सोशल मीडिया पर छाए रहने वाली प्रमुख हस्तियों और नागरिकों ने भी सार्वजनिक रूप से 'ओके' का इशारा बनाने के लिए सुर्खियां बटोरीं। इनमें रिपब्लिकन पार्टी के जि़ना बैश पर भी आरोप लगा जब उन्होंने ब्रेट कैवनॉघ की सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में ओके का साइन बनाया।
नस्लवाद में भी हुआ उपयोग
ओके का उपयोग नस्लवाद के स्पष्ट प्रतीक के रूप में भी किया गया है। न्यूजीलेंड में दो मस्जिदों में 51 लोगों को गोलियों से छलनी कर देने वाले निओ-नाजी विचाराधारा के समर्थक ब्रेंटन हैरिसन टारंट ने मार्च में अदालत में पेश होने पर ओके का प्रतीक चिन्ह बनाया था। पकड़े जाने से बवने के लिए ऐसी विचारधारा के समर्थक 'सर्कल गेम' के रूप में भी इसका इस्तेमाल करते हैं, जिसमें एक व्यक्ति अपनी उंगलियों के साथ एक सर्कल बनाता है और अपनी कमर के नीचे अपना हाथ रखता है। यदि कोई समर्थक इसे नोटिस करता है तो पहला व्यक्ति उनके कंधे पर मुक्का मारता है।
Published on:
30 Sept 2019 06:38 pm
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