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तीन नहीं बल्कि ब्रह्मांड में इतने लोक, भगवान नहीं करते स्वर्गलाक में वास, इस छोर पर है उनकी रहस्यमयी दुनिया

आज हम आपको लोकों से संबंधित कुछ ऐसी बातें बताने जा रहे हैं जिसके बारे में आपने पहले कभी सुना होगा।

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Priya Singh

Sep 27, 2018

तीन नहीं बल्कि ब्रह्मांड में है दस लोक

तीन नहीं बल्कि ब्रह्मांड में इतने लोक, भगवान नहीं करते स्वर्गलाक में वास, इस छोर पर है उनकी रहस्यमयी दुनिया

नई दिल्ली। बचपन से हम सभी तीन लोकों के बारे में ही सुनते आ रहे हैं। स्वर्ग, नर्क और धरती। जैसा कि अब हमें पता है कि, स्वर्ग लोक में देवता रहते हैं, नर्क में दुष्ट आत्माएं रहती हैं और धरती में नश्वर जीवों का वास है, लेकिन आज हम आपको लोकों से संबंधित कुछ ऐसी बातें बताने जा रहे हैं जिसके बारे में आपने पहले कभी सुना होगा। बता दें, ब्रह्मांड में सिर्फ तीन नहीं बल्कि दस लोक हैं।

स्वर्गलोक को हम सबसे ऊपरी दर्जा देते हैं, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि 10 लोकों की श्रेणी में स्वर्गलोक पांचवें स्थान पर आता है। चलिए अब आपको बताते हैं कि कौन सा लोक सबसे ऊपर और कौन सबसे नीचे आता है और इनमें कौन रहता है?

सबसे ऊपर सत्यलोक आता है। इस लोक में ब्रह्मा, सरस्वती और अन्य आध्यात्मिक हस्तियां रहती हैं। सत्यलोक की प्राप्ति उन्हें ही होती है जिन्होंने अनंत काल तक तपस्या कर भौतिक जगत के मोह को त्याग दिया है।

इसके बाद आता है तपो लोक जो सत्यलोक से 12 करोड़ योजन (चार कोस का एक योजन) नीचे स्थित है। तपो लोक में चारों कुमार सनत, सनक, सनंदन, सनातन रहते हैं। इनका शरीर एक 5 साल के बच्चे के समान है इसलिए इन्हें कुमार कहा जाता है। अपनी पवित्रता के कारण ये कुमार ब्रह्मलोक और विष्णु के स्थान वैकुंठ में जा सकते हैं।

तपो लोक से 8 करोड़ योजन नीचे स्थित है महर लोक जहां ऋषि-मुनि रहते हैं। ये चाहें तो भौतिक जगत और सत्यलोक में विचरण कर सकते हैं। जन लोक या महर लोक में रहने वाले बहुत ही तेज गति से अलग-अलग लोकों पर जा सकते हैं। इनकी गति इस हद तक तेज हैं जिसे आधुनिक विज्ञान के लिए समझ पाना नामुकिन है।

अब बारी आती है उस लोक की जिसे अब तक आप सबसे ऊपर समझते थे यानि कि स्वर्गलोक। इस लोक में 33 करोड़ देवी-देवता रहते हैं। पृथ्वी के बीचोबीच मेरु पर्वत पर यह स्थान मौजूद है, जिसकी ऊंचाई अस्सी हजार योजन है। हेवेन या जन्नत कहे जाने वाले इस लोक में देवताओं के अलावा अप्सरा, गंधर्व, देवदूत और वासु भी रहते हैं।

स्वर्गलोक में रहने वाले यदि भौतिक जुड़ाव को पूरी तरह से त्याग देते हैं, तो मुनि लोक की ओर प्रस्थान कर सकते हैं। इसके विपरीत यदि भौतिक जीवन में इनका आकर्षण बढ़ता है तो इन्हें नश्वर लोक, भू लोक में जन्म लेना होता है। इसके अलावा महर लोक से 1 करोड़ योजन नीचे है ध्रुव लोक भी है, जहां आकाशगंगाओं, विभिन्न तारामंडलों का स्थान है।

ऐसा कहा जाता है कि सभी लोकों के नष्ट हो जाने पर भी ध्रुव लोक का अस्तित्व बरकरार रहेगा। यहां सूर्य के अलावा सौरमंडल के सभी ग्रह निवास करते हैं।

ध्रुव लोक से 1 लाख करोड़ योजन नीचे स्थित है सप्तऋषियों का निवास स्थान है जिसे सप्तऋषि लोक कहते हैं। हिन्दू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण सात ऋषियों का समूह अनंत काल से इसी लोक में रहते हैं।

अब बारी आती है नश्वर लोक की जहां इंसान रहते हैं। भू लोक के बाद आता है पाताल लोक जो असुरों का निवास स्थान है। यहां नकारात्मक शक्तियां रहती हैं।