29 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

पांडवों की पत्नी द्रौपदी समेत इन 4 विवाहित स्त्रियों को ग्रंथों में माना जाता है कुंवारी, ये है कारण…

हम जिन स्त्रियों की बात कर रहे हैं उन्हें ग्रंथों में अक्षतकुमारी माना गया है। इन स्रियों के लिए ग्रंथों के पात्रों पर कन्या शब्द का उपयोग किया गया है, नारी शब्द का नहीं। हैरानी की बात यह है की इन पांचों विवाहित हैं।

2 min read
Google source verification
these five women considered virgin after marriage this is the reason

पांडवों की पत्नी द्रौपदी समेत इन 4 विवाहित स्त्रियों को ग्रंथों में माना जाता है कुंवारी, ये है कारण...

नई दिल्ली। हम जिन स्त्रियों की बात कर रहे हैं उन्हें ग्रंथों में अक्षतकुमारी माना गया है। इन स्रियों के लिए ग्रंथों के पात्रों पर कन्या शब्द का उपयोग किया गया है, नारी शब्द का नहीं। हैरानी की बात यह है की इन पांचों विवाहित हैं। प्रश्न ये उठता है कि विवाहिता होते हुए भी इन्हें कौमार्या क्यों माना गया है? आइए डालते हैं इन स्त्रियों के चरित्र पर एक नज़र कि ये सब कौन हैं? और क्या थी इनकी विशेषता? साथ ही इनका आज भी जिक्र क्यों होता है और क्यों माना गया है इन्हें महापापों को नाश करने वजह…

(कुंती) हस्तिनापुर के राजा पांडु की पत्नी और तीन पांडवों की माता कुंती को ऋषि दुर्वासा ने एक ऐसा मंत्र दिया था। जिसके उपयोग से वह जिस भी देवता का ध्यान कर उस मंत्र का जप करेंगी, वह देवता उन्हें पुत्र रत्न प्रदान करेंगे। उस समय कुंती की उम्र काफी कम थी। कुंती उस मंत्र को परखना चाहती थी। उन्होंने सूर्य का ध्यान किया सूर्य प्रकट हुए और उन्हें पुत्र प्रदान किया। इस तरह कर्ण का जन्म हुआ। इसलिए उन्हें कर्ण का त्याग करना पड़ा। स्वयंवर में कुंती और पांडु का विवाह हुआ। पांडु को एक शाप था कि वह स्त्री को स्पर्श करेंगे तो मृत्यु हो जाएगी। पांडु की मृत्यु के बाद राज्य अनाथ ना हो इसलिए कुंती ने धर्म देव से युधिष्ठिर, वायुदेव से भीम और इंद्र देव से अर्जुन को प्राप्त किया। यही कारण है कि अलग-अलग देवताओं से संतान पाने के बाद भी कुंती को कुंवारी माना गया है।

(तारा) तारा सुग्रीव के भाई बालि की पत्नी थी। माना जाता है कि तारा समुद्र मंथन से निकली थीं और भगवान विष्णु ने उसका विवाह बालि से करवाया था। एक बार जब बालि असुर से युद्ध करने गया और वापस नहीं लौटा तो सभी ने उसे मृत मान लिया। सुग्रीव ने तारा को अपनी पत्नी बनाकर साथ रख लिया और राज्य संभाल लिया। जब बाली ने सुग्रीव से युद्ध किया और श्रीराम ने उसका वध कर दिया। मरते समय बालि ने सुग्रीव से कहा हर बात में तारा से विचार-विमर्श करना और उसकी राय को महत्व देना। तारा ने हर परिस्थिति में अपने पति के लिए अच्छा चाहा। उसने कभी सुग्रीव का साथ नहीं चाहा, लेकिन फिर भी जब बाली ने उसका त्याग किया तो उस त्याग को बिना कुछ कहे स्वीकार कर लिया। यही कारण है कि उनकी पवित्रता को कन्याओं के समान माना गया है।