
जल्द ही ख़त्म हो जाएगा हमारे कैलेंडर से लीप वर्ष!
प्रत्येक चार साल में आने वाला लीप वर्ष दरअसल पृथ्वी की अपनी कक्षा में परिक्रमा करने और हमारे कैलेंडर्स के बीच तालमेल न होने के कारण मौजूद है। यूं तो पृथ्वी 365 दिनों में करीब 94 करोड़ किमी (584 मिलियन मील) का चक्कर लगाकर सूर्य की परिक्रमा पूरी करती है। लेकिन 365 दिनों के अलावा यह चक्कर पूरा करने में पृथ्वी को 5 घंटे, 48 मिनट और 46 सेकंड्स का अतिरिक्त समय लगता है। इसी अतिरिक्त समय को परिभाषित करने के लिए वैज्ञानिकों ने लीप दिवसों को डिजायन किया था। लेकिन जल्द ही हमारे कैलेंडर से लीप वर्ष गायब हो सकता है। दरअसल, अमरीका की जॉन होपकिंस विश्वविद्यालय के दो प्रोफेसर अर्थशास्त्री स्टीव एच. हैंके और खगोल विज्ञानी रिचर्ड कॉन हेनरी एक नया कैलेंडर विकसित कर रहे हैं। अगर दोनों अपने शोध में सफल होते हैं और इसे पूरी दुनिया में लागू कर दिया जाता है तो इस साल का लीप वर्ष संभवत: आखिरी हो। दोनों प्रोफेसर पुराने कैलेंडर को अपनी नई गणना के अनुसार बनाए गए कैलेंडर से बदल देंगे।
फरवरी में भी होंगे 30 दिन
उनका बनाया 'हैंक-हेनरी परमानेंट कैलेंडर' में 364 दिन ही होंगे। यह एक सुसंगत (कनसिस्टेंट) कैलेंडर होगा जिसमें साल की शुरुआत हमेशा सोमवार से ही होगी। वहीं प्रत्येक व्यक्ति का जन्मदिन सप्ताह के एक ही दिन आया करेगा। जॉन होपकिंस विश्वविद्यालय में खगोल विज्ञानी और कैलेंडर बनाने वाले वैज्ञानिक रिचर्ड कॉन हेनरी का कहना है कि कैलेंडर हर साल एक समान होगा। इतनला ही नहीं फरवरी में हमेशा 30 दिन होंगे। इस कैलेंडर में जनवरी, अप्रेल, मई, जुलाई, अगस्त, अक्टूबर और नवंबर में भी 30 दिन होंगे। बाकी चार महीने 31 दिनों के होंगे। कैलेंडर में कोई लीप दिवस नहीं होगा। लेकिन प्रत्येक 5-6 वर्ष के बाद साल के आखिर में एक पूरा अतिरिक्त सप्ताह होगा।
ग्रेगोरियन कैलेंडर का कर रहे उपयोग हम
कैलेंड्रिकल सुधारों को ध्यान में रखते हुए यह एक साहसिक कदम है। क्योंकि आज हम जिस कैलेंडर का उपयोग कर रहे हैं उसे बनाने में सैकड़ों सालों का समय लगा था। लगभग 46वीं सदी में तानाशाह जूलियस सीजर ने रोमन गणराज्य के लिए 365 दिनों वाला कैलेंडर बनवाया, जिसे मिस्रवासियों ने तैयार किया था। इस कैलेंडर में एक लीप दिवस शामिल था। लेकिन यह उस समय मौजूदअन्य कैलेंडर की तुलना में अधिक सटीक था, लेकिन त्रुटिरहित नहीं था। कैलेंडर बनाने वाले मिस्त्र के खगोलविज्ञानियों ने प्रत्येक जूलियन वर्ष में एक अतिरिक्त 11 मिनट व 14 सेकंड जोड़े थे। सदियां बीतने के साथ यह बोनस समय भी बढ़ता रहा। इस समय को कम करने के लिए पोप ने 10 दिन घटा दिए। इससे इटली, स्पेन और अन्य यूरोपीय देशों में 4 अक्टूबर, 1582 का दिन 15 अक्टूबर शुक्रवार बन गया। समय के इस बहाव को फिर से रोकने के लिए, पोप ने फिर समय घटाया लेकिन इस बार इसकी आवृत्ति कम रखी। ग्रेगोरियन कैलेंडर में एक वर्ष 100 से विभाज्य होता है, इसलिए 400 दिनों के किसी साल को लीप वर्ष होने के लिए भी विभाज्य होना चाहिए। सरल शब्दों में, ग्रेगोरियन कैलेंडर में 1900 एक लीप वर्ष नहीं है लेकिन 2000 था। इसी कैलेंडर ने 29 फरवरी को लीप दिवस की भी स्थापना की। यूरोप में रोमन कैथोलिक देशों के बाहर दुनिया इस नए कैलेंडर को अपनाने को राजी नहीं थी। वहीं ब्रिटेन और उसके उपनिवेशों ने 1752 ईस्वीं तक ग्रेगोरियन कैलेंडर को नहीं अपनाया था।
ब्रिटेन में दंगे तक हो गए
उस वर्ष ब्रिटेन में दंगे भी हो गए थे। प्रिंसटन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डेनिस फीन्य ने बताया कि नए कैलेंडश्र का जबरदस्त विरोध हुआ क्योंकि लोग अपने 11 दिन वापस चाहते थे। सभी के जन्मदिन भी बदल गए। मिसाल के तौर पर जॉर्ज वॉशिंगटन का जन्म जो जूलियन कैलेंडर में 11 फरवरी को आता था, 1752 के बाद ग्रेगोरियन कैलेंडर में उनका जन्मदिन 22 फरवरी को हो गया। ग्रेगोरियन कैलेंडर बनाने वाले खगोलविदों का कहना था कि हमें बहुत सटीक कैलेंडर की आवश्यकता नहीं है। हमारी जरुरत बस एक ऐसे कैलेंडर की है जिससे मनुष्य के लिए अपने जीवन को व्यवस्थित करने में आसानी हो। हैंके का अनुमान है कि उनके इस नए कैलेंडर को लागू करने का खर्चा साल 2000 से कम आएगा। गौरतलब है कि वर्ष 2000 के समायोजन से हारेने वाली अग्रिम लागत अकेले अमरीका में ही लगभग 100 अरब (100 बिलियन डॉलर) थी। उनका विचार है कि हर साल सप्ताह के एक ही दिन तारीख पडऩे से समयावधि के अनुसार बनाई गई योजनाओं और शेड्यूलिंग की समस्या भी खत्म हो जाएगी। इससे व्यापार को आसानी से 91 दिनों के तिमाही में परिवर्तित किया जा सकता है जबकि अभी ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार कंपनियों को अपने फिस्कल तिमाहियों में एक सप्ताह अतिरिक्त जोडऩा पड़ता है।
सालाना 41 हजार की बचत
हैंके का कहना है कि उनके बनाए नए कैलेंडर से राजपत्रित अवकाश और साप्ताहिक अवकाशों का टकराव नहीं होगा। इससे काफी पैसा भी बचेगा। हमारी गणना यह है कि आर्थिक नुकसान के मामले में प्रति अमरीकी को सालाना लगभग $575 डॉलर यानी करीब 41 हजार रुपए की बचत होगी, क्योंकि उनके पास वीकेंड पर लंबा अवकाश होगा। हैंके-हेनरी को उम्मीद है कि उनके इस नए कैलेंडर को केवल राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप लागू कर सकते हैं। उन्हें विश्वास है कि अगा वे उनसे 30 मिनट मिलने को तैयार हो जाएं तो वे इस कैलेंडर को इसी साल से लागू कर सकते हैं। क्योंकि वे भी सीजर और पोप ग्रेगोरी के बाद अपने नाम पर एक नया कैलेंडर जरूर चाहेंगे। इसके लिए दोनों एक कार्यकारी आदेश का मसौदा भी तैयार कर चुके हैं। उन्हें विश्वास है कि राज्यों को संघीय सरकार, फिर व्यवसायों और अंतत: दुनिया भर में उनका कैलेंडर का पालन किया जाने लगेगा।
Published on:
02 Mar 2020 08:23 pm
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