
आजकल सिर्फ नाम के ही साधु रह गए है जो बाबा जी वाला झोला लटका कर चल देते हैं। अधिकांश साधु योगी होते हैं। साधु मोक्ष की साधना करते हैं। अक्सर भीड़-भाड़ वाले इलाकों से साधु अपने आपको दूर रखते हैं।
कुछ विशेष लोकप्रिय तीर्थ स्थानों पर जो साधु होते हैं उनका मतलब होता है प्राप्त कमाना मतलब की खुद भी भिखारी बन जाते है। साधुओं का एक रूप और होता है अधोरी। लेकिन इनका ताल्लुक भूत और कब्रिस्तान से होता है। साधुओं के तपस्या के संकल्प का उद्देश्य अग्नि और सूर्य के तेज को आत्मसात करना होता है।
कहा जाता है कि 10 वर्षों की अखंड तप की साधना के बाद ऐसे साधु बन पाते हैं। ये 18 वर्ष की क्रिया तीन-तीन वर्षों की साधना अलग-अलग चरणों के नाम होगी।
ये साधु 84 बार अग्नि स्नान कर चुके हैं। आपको बता दें कि इस अग्नि स्नान के बाद भी इस साधु को कुछ नहीं हो रहा है। हालांकि साधु का नाम गुप्त रखा गया है। वैज्ञानिक भी हैरान हो रहे है इनके इस तरीके को देखकर।
Published on:
20 Dec 2020 05:06 pm
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