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मंदिर का निर्माण कर रहे थे दो भाई तभी हुआ कुछ ऐसा कि दोनों बन गए पत्थर

पुराने समय में लोगों को गलतियां करने पर श्राप दे दिया जाता था जिसे इंसान ज़िंदगीभर भुगतता था और ऐसे ही एक श्राप के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं।

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Vineet Singh

Apr 02, 2019

shiv temple

मंदिर का निर्माण कर थे दो भाई तभी हुआ कुछ ऐसा कि दोनों बन गए पत्थर

नई दिल्ली:भारत India में वैसे तो तमाम ऐसे मंदिर Temple हैं जिनकी अलग-अलग मान्यताएं हैं, इन मंदिरों में भारी संख्या में लोग आते हैं और पूजा अर्चना करते हैं लेकिन इनमें से एक मंदिर ऐसा है जिसकी कहानी सुनकर आपको भी हैरानी हो जाएगी। आपको बता दें कि यह मंदिर मध्यप्रदेशmadhya pradesh में स्थित है और इससे एक श्राप जुड़ा हुआ है।

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दरअसल जिस मंदिर की हम बात कर रहे हैं वो मध्यप्रदेश में है और एक श्राप की वजह से ये मंदिर अधूरा रह गया था। इस श्राप की वजह से ही इस मंदिर का निर्माण भी पूरा नहीं हो सका था तो चलिए जानते हैं कि क्या है वो श्राप जिसकी वजह से इस मंदिर का निर्माण पूरा नहीं हो सका।

जानकारी के मुताबिक़ दो भाइयों ने मिलकर इस मंदिर का निर्माण किया था लेकिन वो इसे पूरा ना कर सके। जिस मंदिर की हम बात कर रहे हैं उसका नाम सिद्धेश्वरनाथ महादेव मंदिर हैं। यह मंदिर मध्यप्रदेश के बैतूल जिले के भैंसदेही में पूर्णा नदी के किनारे बना हुआ हैं। इस मंदिर का निर्माण 11वीं सदी में शुरू हुआ था। इस मंदिर का निर्माण राजा गय करवा रहे थे। उस समय गय की राजधानी महिष्मति Mahishmati नाम से जानी जाती थी।

जानकारी के मुताबिक़ राजा गय शिवजी loard shiva का बड़ा भक्त था। ऐसे में उसने अपने नगर में शिव मंदिर बनाने की ठानी। मंदिर के निर्माण के लिए उस दौर के प्रसिद्ध वास्तुशिल्पी भाई नागर-भोगर को बुलाया गया। ऐसा कहा जाता था कि ये दोनों भाई रात के समय नग्न अवस्था में काम करते थे ऐसे में अगर कोई इन्हें देख ले तो ये दोनों भाई पत्थर Stone के बन जाएंगे। ये दोनों भाई एक ही रात में मंदिर का निर्माण कार्य पूरा कर देते थे। आपको बता दें कि राजा का आदेश मिलने के बाद इन दोनों भाइयों ने मंदिर का निर्माण शुरू किया लेकिन फिर कुछ ऐसा जिसकी वजह से मंदिर निर्माण का कार्य अधूरा रह गया।

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बता दें कि एक रात ये दोनों भाई नग्न अवस्था में मंदिर निर्माण का कार्य कर रहे थे तो अचानक वहां खाना लेकर उनकी बहन आ गयी, जैसे ही बहन ने अपने दोनों भाइयों को देखा वो पत्थर बन गए और मंदिर का निर्माण कार्य अधूरा रह गया। तभी से इस मंदिर का निर्माण कार्य अधूरा है, लेकिन इस मंदिर की अपनी मान्यता है और इसके दर्शन करने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं।