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भगवान शिव की आराधना के लिए स्वर्ग से मृत्युलोक लाया गया था यह वृक्ष, इस जिले में आज भी है मौजूद

शिव भक्तों की मनोकामना को पूरा करने के लिए इसे स्वर्ग से लेकर मृत्युलोक में लाया गया है।

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Arijita Sen

Feb 09, 2019

पारिजात वृक्ष

भगवान शिव की आराधना के लिए स्वर्ग से मृत्युलोक लाया गया था यह वृक्ष, इस जिले में आज भी है मौजूद

नई दिल्ली। दुनिया भर में वैसे तो कई सारे पेड़ पौधे हैं जिनमें से कुछ एक के बारे में हम जानते हैं तो वही कुछ ऐसे भी वृक्ष हैं जिनके बारे में अभी भी ज्यादातर लोगों को कुछ पता नहीं है। सभी के बारे में जानना भी संभव नहीं है क्योंकि संसार में वनस्पतियों की कई प्रजातियां पाई जाती हैं। हालांकि आज हम आपको जिस पेड़ की जानकारी देने जा रहे हैं उसका संबंध धरती से नहीं बल्कि स्वर्गलोक से है।

शिव भक्तों की मनोकामना को पूरा करने के लिए इसे स्वर्ग से लेकर मृत्युलोक में लाया गया है। हम यहां पारिजात वृक्ष की बात कर रहे हैं जिसे शास्त्रों में उत्तम स्थान प्राप्त है। उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जनपद में सफदरगंज के पास कोटवा आश्रम के निकट यह पेड़ स्थित है।

ऐसा कहा जाता है कि महाभारत काल में अज्ञातवास भोग रहे पांडव माता कुंती के साथ इस स्थान पर आए थे। यहां पर पांडवों ने एक शिव मंदिर की स्थापना की ताकि उनकी मां को पूजा करने में कोई परेशानी न हो। श्रीकृष्ण के आदेश पर पांडव अपनी मां के लिए सत्यभामा की वाटिका से पारिजात वृक्ष को लेकर आए क्योंकि इसी पेड़ के फूलों से माता कुंती शिव की आराधना करती थीं। तब से यह पेड़ यहीं है।

आयुर्वेद में पारिजात को हारसिंगार कहा जाता है और शिव जी की पूजा के साथ-साथ माता लक्ष्मी की पूजा में भी इसका बहुत महत्व है। कल्पवृक्ष के नाम से मशहूर इस वृक्ष की उत्पत्ति समुद्र मंथन के समय हुई थी। इसके बाद देवराज इन्द्र इसे अपने साथ स्वर्ग में लेकर गए थे। वहां सिर्फ उर्वशी को ही इसे छूने का अधिकार था। इस पेड़ के स्पर्श कर उर्वशी अपनी थकान मिटाया करती थीं।

पारिजात वृक्ष की अपनी कुछ विशेषताएं हैं जिनके अनुसार यह इकलौता ऐसा पेड़ है जिस पर बीज नहीं लगते हैं और न ही इसकी कलम बोने पर दूसरा पेड़ लगता है। इसमें लगने वाले फूल भी अद्भूत किस्म के होते हैं क्योंकि ये फूल केवल रात में खिलते हैं और सुबह होने पर सभी मुरझा जाते हैं।

शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि पेड़ से इन फूलों को तोड़ा नहीं जा सकता है। पूजा इत्यादि में केवल उन्हीं फूलों का प्रयोग किया जा सकता है जो खुद से पेड़ से नीचे गिर गए हो।

इस तरह स्वर्गलोक के इस वृक्ष की कई सारी विशेषताएं हैं, इसके बारे में कई सारी पौराणिक कहानियां भी प्रचलित हैं। यह एक अति महत्वपूर्ण वृक्ष है जिसकी महत्ता को शास्त्रों में भी स्वीकारा गया है।