
अपनी चाबी से भी नहीं खुलता ये 'चमत्कारी' ताला, विशेषज्ञों ने भी टेके घुटने, जाने कया है 'तिलिस्म'
नई दिल्ली। बनारस के रहने वाले लालबाबू के पास ऐसा तिलिस्मी ताला है जो उनके आलावा कसी से नहीं खुलता है। बड़े से बड़े कारीगर ने भी इस तिलस्मी ताले के आगे हार मान ली है। लालबाबू को यह ताला अपने पिता नारायण शर्मा से विरासत के रूप में मिला है। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार या ताला 78 वर्ष पुराना ताला है और इसका वज़न 5 किलो है। लालबाबू के पिता नारायण शर्मा का 1998 में निधन हो गया था। जिसके बाद लालबाबू ही एक मात्र ऐसे शख्स हैं जो इस ताले को खोलने की कला जानते हैं।
जानी-मानी कंपनी का ठुकराया ऑफर...
लालबाबू का कहना है कि 1972 में दिल्ली के प्रगति मैदान में लगे उद्योग व्यापार मेले में ताले को प्रदर्शित किया गया था। उसमें जानी-मानी कंपनियों ने भी भाग लिया था। ताले की विशेषता ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा। वर्ष 1940 की प्रदर्शनी में कुरसैला स्टेट के कुछ कारीगर एक ताला लेकर आए और उसे खोलने की शर्त रखी। उस ताले को लाल बाबूनारायण ने खोल दिया था। इसी दौरान नारायण ने कुरसैला स्टेट के कारीगरों को अपना बनाया ताला खोलने की चुनौती दी। तय हुआ कि अगले वर्ष की प्रदर्शनी में नारायण अपना ताला पेश करेंगे। इसके बाद उन्होंने चार रुपए का लोहा खरीदा। करीब सात महीने की कड़ी मेहनत के बाद रहस्यमयी ताला बनाया। इससे खुश होकर बेतिया महाराज ने चांदी के 11 सिक्के इनाम में दिए थे। बाद में एक ताले बनाने वाली कंपनी के प्रतिनिधि बेतिया आए और ताले को खरीदने व उसकी तकनीक जानने के लिए एक लाख रुपये का ऑफर दिया। तब पिता नारायण शर्मा ने ऑफर के साथ इस तरह के तालों की बिक्री पर एक प्रतिशत रॉयल्टी की मांग रखी। कंपनी इस शर्त को मानने को तैयार नहीं हुई। लालबाबू ने बताया कि उनके पिता जी को जापान से भी न्योता आया था लेकिन वे गए नहीं।
Published on:
29 Aug 2018 03:34 pm
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