21 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Sounds That Make You Scared: आखिर क्यों डराती हैं हमें यह आवाजें

Sounds That Make You Scared: वैज्ञानिकों ने भी माना है कि कुछ विशेष तरह की आवाजें हमारे अंदर डर का वातावरण पैदा करके भयभीत कर देती हैं।

3 min read
Google source verification
fear.jpg

नई दिल्ली। Sounds That Make You Scared: वैसे तो सभी को किसी ना किसी चीज से डर लगता ही है। किसी को जानवरों से, किसी को अंधेरे से और किसी को कुछ आवाजों से। इसी प्रकार अगर कोई डरावनी फिल्मों को आवाज बंद करके देखता है, तो थोड़ी ही देर बाद उसे फिल्म उबाऊ लगने लगेगी। वैसे ही अगर हम बिना चित्र देखे केवल डरावनी फिल्मों के म्यूजिक को सुनें तो, डर कम तो लगेगा परंतु खत्म नहीं होगा। यानी कि डरावने चित्रों से अधिक डरावनी आवाजें हमें भयभीत करती हैं। और इस बात को जानने के लिए कई शोध भी किए जा चुके हैं। तो आज हम आपके लिए इसी बात की जानकारी लेकर आए हैं कि, कुछ खास आवाजें हमें डराती क्यों है:

नॉनलीनियर साउंड से डर:
संगीत हमें सुकून देने और एक थेरेपी की तरह भी उपयोग किया जाता है। लेकिन क्या कारण है कि यही संगीत कुछ खास तरह के उतार-चढ़ाव के कारण हमें डराने लगता है? वह ऐसी कौन सी वजह है जो इस संगीत द्वारा हमारे मस्तिष्क के कुछ खास भागों पर प्रभाव डालकर डर को नियंत्रित करती है? या ऐसा भी हो सकता है कि डरावनी फिल्मों और परिस्थितियों के कारण हम कुछ आवाजों को डरावनी मानकर बैठ गए हैं। इस बारे में पता लगाने के लिए कई वर्षों तक कैलीफोर्निया विश्वविद्यालय में पारिस्थितिकी और विकासवादी जीव विज्ञान के डेनियल ब्लमस्टीन नामक प्रोफ़ेसर ने शोध किया। उन्होंने जाना कि अपने माता-पिता को बुलाने के लिए जब छोटे पशु जो आवाज निकालते हैं, उसे सुनकर हम मानवों में एक भय पैदा होता है। और इसी विशेष पैटर्न के साउंड को नॉनलीनियर साउंड कहते हैं।

यह भी पढ़ें:

इसके अतिरिक्त म्यूजिक के शोधकर्ताओं का मानना है कि कुछ ख़ास धुनों का संयोजन हमारे मस्तिष्क और कानों के लिए तंग करने वाला होता है। ऐसा ही ट्राईटोन नामक एक संयोजन है, जिसे 'संगीत की दुनिया का शैतान' कहा जाता था। असल में दरअसल इस धुन से हमारे दिमाग का वो हिस्सा सबसे ज्यादा प्रभावित हो जाता है जो डर और असुरक्षा की भावना को नियंत्रित करता है।

साथ ही कुछ ऐसी आवाजें भी हैं, जो हमारे दिल-दिमाग में घर कर गई हैं। जैसे हिंदी हॉरर फिल्मों में सुनाई जाने वाली पायल और घुंघरू की झंकार, हवा का चलना, बादल की गर्जना पत्तों की सरसराहट और बिजली का कड़कना आदि। कहीं अचानक तीखी आवाज में किसी का चीखना भी हमें अन्दर तक डरा देता है। इसी तरह कुछ पश्चिमी धुनें हैं। इसका मतलब लंबे अरसे से चली आ रही फिल्मी संस्कृति का असर भी माना जा सकता है।

वहीं दूसरी ओर अगर कभी आप चिड़ियाघर में जाने पर बड़े जानवरों जैसे शेर चीता की आवाज सुनकर डरे हों, तो ये डर अधिक समय तक नहीं रहता। क्योंकि हमारा मस्तिष्क तुरंत ही हमें सूचित कर देता है। जबकि कभी अंधेरे में या अकेले कहीं होने पर अचानक आई आवाज का स्रोत पता ना हो तो हमारे भीतर डर के हार्मोन का स्त्रावण होता रहता है। जिससे हमारी धड़कनें बढ़ जाती हैं, पसीना आने लगता है और आंखें बड़ी हो जाती हैं। और आवाज से जुड़े हमारे इसी भय का उपयोग फिल्मों में खूब किया गया है।