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पांच पांडवों के साथ शादी करने के बावजूद द्रौपदी थी पतिव्रता, यह था राज

महर्षि व्यास के काफी समझाने पर राजा द्रुपद अपनी बेटी द्रौपदी का पांचो पांडवो के साथ विवाह करने को राजी हो गए।

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Arijita Sen

Aug 23, 2018

पांच पांडवों के साथ शादी करने के बावजूद द्रौपदी थी पतिव्रता

पांच पांडवों के साथ शादी करने के बावजूद द्रौपदी थी पतिव्रता, यह था राज

नई दिल्ली। आज जमाना बहुत आगे बढ़ चुका है। लोग पुरानी विचारधारा को छोड़कर नई सोच को अपना रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद लड़कियों को लेकर आज भी इंसान की सोच ज्यों की त्यों बनी हुई है। कोई गलत काम हों, छोटी से लेकर बड़ी बात तक के लिए हर कदम में लड़कियों को ही दोषी ठहराया जाता है। 21 वीं सदी में जीने के बावजूद आज भी शादी के लिए हर किसी को वर्जिन लड़की की तलाश रहती है। जब किसी महिला या बच्ची के साथ गलत काम होता है तो कहीं न कहीं समाज उसे ही दोषी ठहराता है। अब सवाल यह उठता है कि जब द्रौपदी पांच पति से शादी करने के बावजूद पवित्र रह सकती हैं तो आज क्यों किसी महिला को उसकी वर्जिनिटी के आधार पर जज किया जाता है।

महाभारत की कहानी के बारे में तो हम सभी जानते हैं। हमें यह भी पता है कि महाभारत में द्रौपदी की शादी पांच पांडवों के साथ हुई थी।राजा द्रुपद ने अपनी बेटी द्रौपदी की शादी के लिए एक स्वयंवर सभा का आयोजन किया था। स्वयंवर में दिए गए शर्तों को अर्जुन ने पूरा किया और इस तरह से द्रौपदी की शादी अर्जुन के साथ हो गई।

जैसा कि आप जानते ही हैं कि उस समय पांडव अपनी मां कुंती के साथ पहचान छिपाने के चलते ब्राह्मण वेश में रहा करते थे। उस समय वे भिक्षा मांग कर अपना पेट भरते थे। पांडवों को दिनभर भिक्षा कर जो भी मिलता था उसे वे अपनी मां कुंती के सामने लाकर रख देते थे जिसे कुंती सभी में बराबर बांट देती थीं।

हर रोज की तरह जब उस दिन अर्जुन, द्रौपदी को लेकर घर आए तो उन्होंने दरवाजे से ही अपनी मां से कहा कि देखो मां आज हम लोग आपके लिए क्या लाए हैं।

उस दौरान कुंती किसी काम में व्यस्त थीं इसलिए उन्होंने बिना देखे ही यह कह दिया की जो भी लाए हों उसे पांचों भाई अपने में बराबर बांट लें।

जब कुंती ने द्रौपदी को देखा तो वह हैरान रह गईं। उन्होंने अपने पुत्र धर्मराज युधिष्ठिर से कहा कि इसका कोई ऐसा उपाय निकालों जिससे द्रोपदी का भी कोई अनर्थ ना हो और मेरे मुंह से निकली बात भी झूठी ना हो। हालांकि इसका हल युधिष्ठिर भी नहीं निकाल पाए।

इस बात से राजा द्रुपद भी काफी परेशान हो गए। द्रुपद को महर्षि व्यास ने बताया कि द्रोपदी को उनके पूर्व जन्म में भगवान शिव से पांच पति होने का वरदान प्राप्त है। महर्षि व्यास के काफी समझाने पर राजा द्रुपद अपनी बेटी द्रौपदी का पांचो पांडवो के साथ विवाह करने को राजी हो गए।

इसके बाद पहले दिन द्रोपदी का विवाह सबसे बड़े भाई युधिष्ठिर के साथ किया गया और उस रात द्रौपदी ने युधिष्ठिर के साथ अपना पत्नी धर्म निभाया। अगले दिन द्रौपदी का विवाह भीम साथ हुआ। द्रौपदी ने भीम के साथ अपना पत्नी धर्म निभाया। इसी तरह द्रौपदी की शादी बाकी भाईयों से भी की गई और सभी के साथ उन्होंनें अपना पत्नी धर्म निभाया।

दरअसल हर बार पत्नी धर्म निभाने में द्रौपदी इस वजह से समर्थ थीं क्योंकि द्रोपदी को यह वरदान मिला था कि वह प्रतिदिन कन्या भाव यानी कौमार्य को प्राप्त कर लेंगी। इस तरह से द्रौपदी अपने पांचों पतियों को कन्या भाव में ही प्राप्त हुई थीं।