16 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

शादी के 12 दिन बाद चलती ट्रेन में प्रेमी ने तेजाब से किया था हमला, अब दूसरों की जिंदगी ऐसे संवार रहीं हैं प्रज्ञा

प्रज्ञा अब तक करीब वो 200 पीड़ित महिलाओं की 300 बार मुफ्त सर्जरी करवा चुकी हैं।

2 min read
Google source verification

image

Neeraj Tiwari

Jan 07, 2019

acid victim

शादी के 12 दिन बाद चलती ट्रेन में प्रेमी ने तेजाब से किया था हमला, अब दूसरों की जिंदगी ऐसे संवार रहीं हैं प्रज्ञा

नई दिल्ली। जिस लड़की पर 12 साल पहले एक पागल प्रेमी ने तेजाब फेंक के घायल कर दिया था। आज वही लड़की दूसरी पीड़ित लड़कियों के लिए उम्मीद की किरण है। 2006 में ट्रेन में वाराणसी से दिल्ली जाते समय मजबूत इरादों वाली प्रज्ञा तेजाब के हमले का शिकार बनी थी। लेकिन इसके बाद उसने तेजाब से पीड़ित महिलाओं की मदद करने की ठानी और अब तक करीब वो 200 पीड़ित महिलाओं की 300 बार मुफ्त सर्जरी करवा चुकी हैं। इसके अलावा उनको कानूनी व वित्तीच मदद करने के साथ-साथ नौकरियां भी दिलवा रही है।

2013 में हुई थी फाउंडेशन की स्थापना

प्रज्ञा ने बताया कि, यह घटना उसकी शादी के करीब 12 दिनों बाद घटी थी। उस समय वह 23 साल की थी। ट्रेन में सोते समय उसके पूर्व-प्रेमी ने प्रतिशोध में चेहरे और शरीर पर तेजाब फेंक दिया था। जिसके बाद उसे 15 सर्जरी करवानी पड़ी तब जाकर उसके नाक और मुंह खुल सके। बाद में प्रज्ञा ने तेजाब के जख्म से पीड़ित लड़कियों की जिंदगी में खुशहाली लाने के लिए 2013 में अतिजीवन फाउंडेशन की स्थापना की।

लिया था ये संकल्प

तेजाब हमले के सदमे से उबरने के लिए उनके सामने कॉस्मेटिक सर्जरी की एक उम्मीद की किरण थी, जिससे उनके घाव के निशान खत्म हो सकते थे और उनका चेहरा पहले ही जैसा बन सकता था, लेकिन प्रज्ञा ने अपनी उसी छवि के साथ आगे की जिंदगी जीना स्वीकार किया और अपने पैरों पर खड़े होने का संकल्प कर चुकीं प्रज्ञा ने जीवन के अनिवार्य अंगों के काम शुरू करने के बाद रिकंस्ट्रक्शन सर्जरी बंद कर दी।

प्रेम में ठोकर खाए पुरुष करते हैं हमला

प्रज्ञा का मानना है कि तेजाब हमले 20 से 30 साल के बीच की उम्र की महिलाओं पर प्राय: ऐसे पुरुष करते हैं, जो प्रेम में ठोकर खाते हैं या उनके बीच परिवारिक शत्रुता हो या फिर दहेज प्रताड़ना व जमीन संबंधी विवाद हो। गंभीर रूप से जलने पर कुछ पीड़ित 35-40 सर्जरी करवाते हैं। सर्जरी खर्चीली होती है, जिससे पीड़ित और उनके परिवार के सामने गंभीर संकट पैदा हो जाता है। ऐसे में उनका फाउंडेशन तेजाब हमले के पीड़ितों को पूरी मदद करता है। तेजाब से जले मरीजों को गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सुविधा प्रदान करने के लिए उन्होंने देशभर में 15 निजी अस्पतालों से समझौता किया है। इन अस्पतालों का संचालन निजी दान पर होता है और वहां सर्जरी का खर्च वहन करने से लाचार महिलाओं पर होने वाले खर्च भी अस्पताल की ओर से किया जाता है।

सर्वोच्च न्यायालय ने दिया था आदेश

केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत आने वाले नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के अनुसार, 2016 में महिलाओं पर तेजाब हमले के 200 मामले दर्ज किए गए, हालांकि गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) का अनुमान है कि देशभर में यह आंकड़ा 500-1,000 के बीच है। सर्वोच्च न्यायालय ने 2015 में एक आदेश में राज्यों को निर्देश दिया था कि तेजाब हमलों के शिकार लोगों को नौकरियों में अशक्त नहीं माना जाए। इसके बाद भारत की प्रमुख कंपनियां जो जलन के मरीजों को नौकरियां देने से हिचकिचाती थीं, उनके दरवाजे खुल गए हैं। हालांकि प्रज्ञा ने कहा, "उद्योग में इन पीड़ितों को नौकरी दिलवाना चुनौतीपूर्ण कार्य है, क्योंकि कई कॉरपोरेट उनको नौकरी देना नहीं चाहते हैं। कुछ कंपनियां उनको नौकरियां देने के लिए सामने आ रही हैं, लेकिन उनको काम के लिए अक्षम मानते हुए कम मजदूरी दे रही हैं।"