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सर्वाइकल कैंसर: अगर आप 25 में रख रहीं हैं कदम तो जरूर करवाएं ये टेस्ट, स्क्रीनिंग और वैक्सीन

गर्भाशय ग्रीवा या सर्विक्स का कैंसर बच्चेदानी के मुंह की कोशिकाओं में पनपने वाला कैंसर है। यह ब्रेस्ट कैंसर (Breast Cancer) के बाद महिलाओं में पाया जाने वाला सबसे आम कैंसर है।  

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जयपुर

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Jaya Sharma

Feb 08, 2024

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क्या है सर्वाइकल कैंसर और कैसे होता है (what is Cervical Cancer)

गर्भाशय ग्रीवा या सर्विक्स का कैंसर बच्चेदानी के मुंह की कोशिकाओं में पनपने वाला कैंसर है। यह ब्रेस्ट कैंसर (Breast Cancer) के बाद महिलाओं में पाया जाने वाला सबसे आम कैंसर है। आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2018 में विश्व में लगभग तीन लाख महिलाओं ने इस कैंसर के कारण अपनी जान गंवाई जिसमें से 90 फीसदी अविकसित या विकासशील देशों से थीं। विश्व मे होने वाले सभी सर्विक्स के कैंसर में से लगभग एक तिहाई मामले भारत में पाए जाते हैं व इस कैंसर से होने वाली एक तिहाई मृत्यु भी हमारे देश में होती हैं। समय पर बचाव के तरीके अपनाकर व स्क्रीनिंग के जरिए सामयिक निदान से इस कैंसर से लगभग पूर्ण रूप से बचाव या सफल इलाज संभव है।

क्या कहता है WHO

वर्ष 2020 में विश्व स्वास्थ्य परिषद (WHO) ने 2030 तक सभी देशों को सर्विक्स कैंसर के उन्मूलन का लक्ष्य दिया है। इसके मुताबिक 15 वर्ष की आयु तक 90 फीसदी बालिकाओं को सर्विक्स के कैंसर से बचाव के लिए टीका (HPV Vaccine) लग जाना चाहिए। 35 व 45 वर्ष तक 70 फीसदी महिलाओं की स्क्रीनिंग हो जानी चाहिए व कैंसर पूर्वावस्था या कैंसर से ग्रसित 90 फीसदी महिलाओं का सही इलाज हो जाना चाहिए।

वेक्सीन अवश्य लगवाएं

सर्विक्स के कैंसर का प्रमुख कारण ह्यूमनपेपिलोमा वायरस या एचपीवी है। एचपीवी यौन संचारित संक्रमण है और जन्म के समय मां से शिशु में भी फैल सकता है। इस वायरस के विरुद्ध टीके उपलब्ध हैं। अब यह टीका ' सर्वावैक' के नाम से भारत में भी बनने लगा है जिसे निर्धारित डोज़ में 9 से 26 वर्ष की उम्र तक दिया जा सकता है। यह आवश्यक है कि टीकाकरण चिकित्सक के परामर्श के अनुसार ही किया जाए। आंकड़े बताते हैं कि उचित टीकाकरण द्वारा सर्विक्स के कैंसर से लगभग 80 फीसदी बचाव संभव है। टीकाकरण के बाद भी स्क्रीनिंग जरूरी है।

पैप स्मीयर टेस्ट (PAP Smear Test)

सर्विक्स कैंसर की स्क्रीनिंग में पैप स्मीयर व एचपीवी डीएनए की जांच की जाती है। 25 वर्ष की उम्र के बाद स्क्रीनिंग प्रारम्भ की जाती है। 30 वर्ष तक यह सिर्फ पैप स्मीयर से की जाती है। सामान्य पाए जाने पर इसे हर तीन वर्ष में दोहराया जाता है। 30 से 65 वर्ष तक पैप स्मीयर व एचपीवी की जांच द्वारा स्क्रीनिंग की जाती है। दोनों सामान्य पाए जाने पर इन जांचों को हर पांच वर्ष में दोहराया जाता है। जांचों में कुछ गड़बड़ आने पर उन्हें कम अन्तराल पर दोहराया जाता है या कुछ विशिष्ट जांचें जैसे एचपीवी टाइपिंग व कॉल्पोस्कोपी आदि की जाती हैं। कैंसर की पूर्वावस्था या कैंसर पाए जाने पर उनका उचित इलाज किया जाता है।

ऐसे करें पहचान (How to identify)

अनियमित रक्तस्राव जो लम्बा चले
रजोनिवृत्ति के बाद रक्तस्राव (अधिक व अचानक)
ब्लीडिंग के साथ पेट दर्द
भूख कम लगना
वजन कम होना
पेट दर्द के साथ मल-मूत्र में तकलीफ आदि

उपचार (Treatment)

कैंसर की पूर्वावस्था का इलाज उसके प्रकार के हिसाब से किया जाता है। कम विकृतियों वाली स्थितियों ( एलसिल) में बिना बेहोश किए 'क्रायोकॉट्राइज़ेशन', ' लीप' आदि तरीक़ों से पूर्ण इलाज हो जाता है।

कुछ बढ़ी हुई विकृतियों वाली स्थितियों (एचसिल, एगस आदि) में 'कोनाइजेशन' आदि करना होता है जिन्हें बेहोशी में किया जाता है।

आगे का इलाज इनकी बायोप्सी रिपोर्ट आने पर तय किया जाता है। जांचों से सर्विक्स कैंसर व उसके प्रकार का निदान पक्का होने पर उसका फैलाव पता किया जाता है। इसके लिए जननांगों का परीक्षण सबसे अधिक कारगर है।


जरूरत पड़ने पर सीटी स्कैन, एमआरआई (Citi Scan, MRI)

इस दौरान कभी-कभी पैट स्कैन का उपयोग किया जाता है। यदि कैंसर गर्भाशय ग्रीवा यानि सर्विक्स तक ही सीमित है तो यह शुरुआती अवस्था या स्टेज में माना जाता है। अधिकतर शुरुआती अवस्था में इलाज शल्य चिकित्सा द्वारा संभव हो जाता है विशेषकर कम उम्र या रजोनिवृत्ति पूर्व की महिलाओं में। थोड़ी स्टेज बढऩे पर या अधिक उम्र की महिलाओं में 'रेडियोथैरेपी' व 'सर्जरी' दोनों से इलाज संभव है। बढ़ी हुई स्टेज (स्टेज दो व तीन) में रेडियोथैरेपी व कीमोथैरेपी इलाज के मुख्य प्रकार हैं। स्टेज 4 में इलाज के परिणाम अच्छे नहीं होते हैं। ऐसे में मरीज़ की ज़रूरत व उसे यथासंभव आराम पहुँचाने के आशय से विशेषज्ञ द्वारा इलाज निर्धारित किया जाता है।