
भारतीय महिलाओं में मेनोपॉज की औसत उम्र 47 के आसपास होती है। इस समय ऐसे लक्षण सामने आते हैं, जिनमें स्मृति व ध्यान से संबंधित दिक्कतें होती हैं। इन्हें संज्ञानात्मक समस्याएं कहा जाता है।
क्या है ब्रेन फॉग?
ब्रेन फॉग ऐसा समूह है, जिसमें याद रखने की शक्ति कम होने लगती है। खासतौर से याददाश्त की कमी, शब्द, नंबर, नाम, कोई घटना भूल जाना, किसी काम में मन न लगना, काम में फोकस न होने की समस्या होती है। इसी के साथ जुड़ा है मनोदशा यानी मूड। गिरती मनोदशा मेनोपॉज के बाद एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर कम होने के कारण होती है। यह जीवन की गुणवत्ता पर असर डालता है।
सीखने में परेशानी
इन्हीं समस्याओं पर रिसर्च में बताया गया है कि उन्हें कुछ सीखने में भी परेशानी होती है। मोबाइल, कम्प्यूटर आदि नहीं सीख पाते हैं। इसकी जागरूकता के लिए इंटरनेशनल मेनोपॉज सोसायटी ने एक गाइडलाइन जारी की है। इसमें बताया गया है कि यदि समय पर सही कदम नहीं उठाया जाए तो भविष्य में यह डिमेंशिया या अल्जाइमर्स का खतरा उत्पन्न कर सकती है।
ये हैं रिस्क फैक्टर
शारीरिक निष्क्रियता व सोशल सर्किल कम होना, मद्यपान व धूम्रपान, मोटापा, ब्लड प्रेशर, डायबिटीज व डिप्रेशन इसके जोखिम कारक हो सकते हैं। वायु प्रदूषण भी चिंताजनक व रिस्क फैक्टर है। जिन्हें साइकोलॉजिकल स्ट्रेस ज्यादा हो, उनमें भी मेनोपॉज ब्रेन फॉग का खतरा कई गुना तक बढ़ जाता है।
बचाव के उपाय
बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआइ) 18.5 से 25 के बीच रखें।
लाइफस्टाइल में बदलाव करें
रोजाना 30 मिनट व्यायाम करें।
सोशल एक्टिविटीज में भाग लें।
अकेलापन न हो, इसके लिए परिजनों के बीच में रहें।
ब्रेन बूस्टर एक्टिविटीज जैसे सुडोकू, पजल्स करें।
हार्ट हैल्थ पर ध्यान दें। इससे ब्रेन भी हैल्दी होगा।
रुचि के मुताबिक क्रिएटिव बनें।
योग मेडिटेशन करें।
आते हैं ये बदलाव
ब्रेन की इमेजिंग स्टडी से पता चला है कि जिन महिलाओं को गर्मी के बफारे और नींद की कठिनाइयां आती हैं, उनके ब्रेन में स्ट्रक्चरल और फंक्शनल बदलाव आ जाते हैं। प्रारंभिक स्थिति में इलाज से इसे रिवर्स किया जा सकता है।
मूल मंत्र
मेनोपॉज के दौर से गुजर रही महिलाएं क्षमा, समता भाव, सजग मन, शांत चित्त व सदैव मुस्कुराती रहें और दैनिक कार्यशैली चुस्त बनाए रखें।
Published on:
17 Sept 2023 06:32 pm
बड़ी खबरें
View Allमहिला स्वास्थ्य
स्वास्थ्य
ट्रेंडिंग
लाइफस्टाइल
