पिछले पांच दिनों में 73 मौतें, पिछले साल 1500 मरे
26 अगस्त को बलूच लिबरेशन आर्मी के विद्रोहियों ने मूसाखेल जिले में बसों और ट्रकों से पुरुषों और महिलाओं को बाहर निकाला, उनकी आइडी जांची और उनमें से उन 23 लोगों को गोली मार दी, जिनका संबंध पाकिस्तान की पंजाबी जातीयता से था। 25 अगस्त से शुरू हुए इन हमलों में पाकिस्तान में बंदूकधारियों ने ब्लूचिस्तान क्षेत्र में पुलिस स्टेशनों, रेलवे लाइनों और राजमार्गों पर वाहनों पर हमला किया है, जिसमें मंगलवार तक 38 नागरिक, 14 सैनिक और 21 विद्रोहियों समेत कुल 73 लोग मारे गए हैं। मारे गए आम लोगों और सैनिकों में ज्यादातर पाकिस्तान के पंजाब प्रांत से थे। इसे पाकिस्तान के जातीय विद्रोहियों का हाल के दिनों में सबसे बड़ा हमला बताया जा रहा है। साउथ एशिया टेरेरिज्म पोर्टल के अनुसार पिछले साल पाकिस्तान में आतंकी हमलों में 1500 से ज्यादा लोग मारे गए हैं।
हर साल बढ़ रहे आतंकी हमले
सेंटर फॉर रिसर्च एंड सिक्योरिटी स्टडीज (सीआरएसएस) की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान में 2024 की पहली तिमाही के दौरान आतंकवादी हमलों और आतंकवाद विरोधी अभियानों की 245 घटनाएं हुईं, जिसमें 432 मौतें हुईं और 370 लोग घायल हुए हैं। इनमें से 90 प्रतिशत से ज्यादा हमले अफगानिस्तान की सीमा से सटे खैबर पख्तूनख्वा (केपी) और बलूचिस्तान प्रांतों में हुए। रिपोर्ट के अनुसार, 2024 की पहली तिमाही में खैबर पख्तूनख्वा (केपी) में 51 प्रतिशत और बलूचिस्तान में 41 प्रतिशत मौतें हुईं। गौरतलब है कि खैबर में पाकिस्तानी चरमपंथी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) की ओर से लगातार हमले बढ़ते जा रहे हैं। वर्ष 2021 में जहां 573 हमले किए गए थे, वहीं 2022 में यह बढ़कर 715 हो गया। पिछले वर्ष इसकी संख्या 1210 थी। इस वर्ष भी मई तक करीब 28 हमलों को टीटीपी अंजाम दे चुका हैं। 16 जुलाई को किए एक आतंकी हमले में पाकिस्तान में आठ सैनिक मारे गए थे।