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रूस पर ‘इकोनॉमिक बंकर बस्टर बम’ गिराने की तैयारी में अमेरिका, भारत-चीन पर भी पड़ सकता है असर

अमेरिका जल्द ही रूस पर ‘इकोनॉमिक बंकर बस्टर बम' गिराने की तैयारी में है। इसका असर भारत और चीन पर भी पड़ सकता है। क्या है पूरा मामला? आइए नज़र डालते हैं।

भारत

Tanay Mishra

Jun 24, 2025

Donald Trump and Vladimir Putin
Donald Trump and Vladimir Putin (Photo - Washington Post)

अमेरिका (United States Of America) की रिपब्लिकन पार्टी के सीनेटर लिंडसे ग्राहम (Lindsey Graham) ने एक चौंकाने वाली बात बताई है। ग्राहम के अनुसार अमेरिका अब रूस (Russia) पर ‘इकोनॉमिक बंकर बस्टर बम’ (Economic Bunker Buster Bomb) गिराने की तैयारी में है। पढ़कर मन में सवाल आना स्वाभाविक है कि ‘इकोनॉमिक बंकर बस्टर बम' क्या है? दरअसल यह एक ‘प्रतिबंध बिल’ है जिसके तहत रूस पर कई आर्थिक प्रतिबंध लगाए जाएंगे। इसी वजह से इसे ‘इकोनॉमिक बंकर बस्टर बम’ कहा है। एक टीवी इंटरव्यू में ग्राहम ने साफ किया है कि यह प्रस्तावित कानून रूस के खिलाफ अब तक का सबसे आक्रामक प्रतिबंध बिल हो सकता है।

पुतिन को सबक सिखाने के लिए ज़रूरी!

ग्राहम का कहना है कि यह बिल रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) को सबक सिखाने के लिए ज़रूरी है। मौटे तौर पर देखें तो यह बिल यूक्रेन (Ukraine) की मदद करने के साथ ही पुतिन को आइसोलेट करने का प्रयास है। बिल के कूटनीतिक साइड इफेक्ट से बचाने के लिए इसमें राष्ट्रपति को प्रतिबंध लागू करने में छूटें भी दी गई हैं।

80 से ज़्यादा सीनेटर्स ने किया बिल का समर्थन

ग्राहम ने दावा किया है कि अमेरिका के दोनों राजनीतिक दलों के 80 से ज़्यादा सीनेटर्स ने रूस के खिलाफ नए प्रतिबंध बिल का समर्थन किया है। ग्राहम ने कहा, "पुतिन अब कम नहीं, बल्कि पहले से ज्यादा आक्रामक हैं। अभी तक हमने पुतिन पर सॉफ्ट प्रेशर ही बनाया है, पर यह काम नहीं कर रहा। अब रणनीति बदलने का समय है।"


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बिल के पास होने की पूरी संभावना

अमेरिकी सीनेटर जिस बिल को लाने की तैयारी कर रहे हैं उसका नाम है ’सैंक्शनिंग रशिया एक्ट ऑफ 2025‘। यह द्विदलीय बिल होगा, इसलिए पास होने की पूरी संभावना होगी।"

भारत और चीन पर भी पड़ेगा असर

रूस के खिलाफ इस अमेरिकी बिल का असर भारत (India) और चीन (China) पर भी पड़ेगा। भारत के लिए यह बिल इसलिए खतरनाक साबित होगा, क्योंकि बिल में प्रस्ताव है कि जो देश रूस से तेल, गैस और यूरेनियम का आयात जारी रखते हैं, उन पर भारी टैरिफ लगाया जाए, जब तक कि वो यूक्रेन को प्रत्यक्ष सैन्य सहायता नहीं देते। हालांकि बिल में सीधे तौर पर भारत और चीन का नाम नहीं लिया गया है, लेकिन इन दोनों देशों ने रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद भी जमकर रूस से तेल खरीदा है। भारत और चीन के तेल खरीदने की वजह से रूस पर पश्चिमी प्रतिबंधों का ज्यादा असर नहीं हो पाया।

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