8 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

चीन का अमेरिका से बड़ा ‘वादा’, ताइवान पर नहीं करेगा परमाणु हमला, ताइपे ने नकारा

China-USA: चीनी प्रतिनिधियों ने अमेरिकी समकक्षों को आश्वासन दिया कि ताइवान पर संघर्ष में अगर उनकी हार भी होती है तो भी वो उस पर परमाणु हथियारों से वार नहीं करेंगे। लेकिन इधर ताइवान ने चीन के इस दावे और वादे को ताइवान ने खारिज कर दिया है।

3 min read
Google source verification
America's nuclear talks with China for the first time in 5 years

America's nuclear talks with China for the first time in 5 years

China-USA: संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन ने बीते 5 साल में पहली बार सेमी ऑफिशिएल परमाणु हथियार (Informal Nuclear Talks) वार्ता शुरू की है। इसे पहले मार्च में होना था लेकिन अब इसे फिर से शुरू किया गया है। बीते गुरुवार को इस वार्ता से एक बड़ी जानकारी निकल कर सामने आई है वो ये कि अब चीन ने अमेरिका को यकीन दिलाया है कि वो ताइवान (Taiwan) पर परमाणु हमला नहीं करेगा। चीनी प्रतिनिधियों ने अमेरिकी समकक्षों को आश्वासन दिया कि ताइवान पर संघर्ष में अगर उनकी हार भी होती है तो भी वो उस पर परमाणु हथियारों से वार नहीं करेंगे। लेकिन इधर ताइवान ने चीन के इस दावे और वादे को खारिज कर दिया है।

अहम है ये ट्रैक-टू वार्ता

अंतर्राष्ट्रीय न्यूज एजेंसी के मुताबिक चीन और अमेरिका के बीच हो रही इस ट्रैक टू वार्ता में अमेरिका की तरफ से बयान आया है कि वो इस बात को लेकर आश्वस्त हो गए हैं कि अमेरिका और चीन परमाणु हथियारों का उपयोग किए बिना ताइवान पर जीत हासिल करने में सक्षम हैं। चीन और अमेरिका के बीच चल रही इस ट्रैक-टू वार्ता में अमेरिका की तरफ से पूर्व अधिकारी और रक्षा विशेषज्ञ समेत आधा दर्जन प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं। वहीं चीन की तरफ से हो रही इस वार्ता में विश्लेषकों का एक प्रतिनिधिमंडल शामिल हैं जिसमें चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के कई पूर्व अधिकारी मौजूद हैं। अमेरिका के विदेश विभाग की तरफ से अंतर्राष्ट्रीय न्यूज एजेंसी को बताया गया है कि दोनों देशों के बीत हो रही है जिसके सफल होने की उम्मीद जगी है।

बीते साल नवंबर में हुई थी बातचीत

चीन और अमेरिका (China-USA) के बीच ये अनौपचारिक वार्ता ताइवान मुद्दे के अलावा प्रमुख आर्थिक और भू-राजनीतिक मुद्दों पर भी हुई, जिसमें दोनों ही देशों ने एक-दूसरे पर कई तरह के आरोप-प्रत्यारोप लगाए। बता दें कि दोनों देशों ने बीते साल नवंबर में परमाणु हथियारों पर ट्रैक वन वार्ता को कुछ समय के लिए फिर से शुरू किया, लेकिन तब से ये वार्ता रुकी हुई थी, जिस पर अमेरिका ने निराशा भी व्यक्त की थी।

चीन के परमाणु हथियार भंडार में बेतहाशा बढ़ोतरी

अमेरिका के रक्षा विभाग का अनुमान है कि साल 2021 और 2023 के बीच चीन के परमाणु हथियार के भंडार में 20% से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है। चीन ने ताइवान को अपने नियंत्रण में लाने के लिए हमेशा ताकत का इस्तेमाल किया है और बीते 4 सालों में उसने ताइवान के चारों ओर सैन्य गतिविधि बढ़ा दी है। इस वार्ता में लगभग 20 साल के बाद दशक की परमाणु हथियार और मुद्रा वार्ता का हिस्सा है जो 2019 में ट्रम्प प्रशासन के फंडिंग वापस लेने के बाद रुक गई थी। तब अमेरिका ने कहा था कि जब परमाणु हथियारों का मुद्दा हो तो चीन के साथ बिना किसी उम्मीद के बातचीत जारी रखना सबसे ज्यादा अहम है क्योंकि ये वार्ता सिर्फ दो देशों के लिए बल्कि पूरी दुनिया की सुरक्षा के लिए है।

आए दिन हथियारों का टेस्ट करता है चीन

अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन ने पिछले साल ये अंदेशा जताया था कि चीन के पास 500 चलाने के लिए तैयार परमाणु हथियार हैं और ये 2030 तक 1000 से भी ज्यादा हो जाएंगे। इसके मुकाबले अमेरिका के पास 1770 और रूस के पास 1710 ऑपरेशनल वॉरहेड हैं। चीन ने अब अपनी अगली पीढ़ी की बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी का उत्पादन शुरू कर दिया है, हाल ही में उसने हाइपरसोनिक ग्लाइड वाहन वॉरहेड का टेस्ट किया है। साथ ही वो अक्सर परमाणु-सशस्त्र समुद्री गश्त का भी संचालन करता रहता है।

दुनिया में चीन के बारे में हो रही गलत बातें

चीन के पास जमीन, हवा और समुद्र में चलाने वाले परमाणु हथियार हैं जो उसे परमाणु शक्ति से लैस एक ताकतवर देश बनाते हैं। चीन इसके प्रचार औऱ प्रसार में विश्वास करता है तो वहीं पड़ोसी भारत है जिसने परमाणु हथियारों के लेन-देन शुरू ना करने की कसम खाई है। चीनी सैन्य विश्लेषकों का कहना है कि वो पहले परमाणु हथियारों का प्रयोग नहीं करेंगे। दुनिया भर में जो चीन के खिलाफ ये गफलत फैलाई जा रही है वो सरासर गलत है।

ये भी पढ़ें- जानिए ताइवान को क्यों कब्जाना चाहता है चीन?