China Taiwan Tension: चीन ने अपनी विस्तारवादी नीति से पूरी दुनिया की नाक में दम करके रखा हुआ है। अब तो हद ही हो गई है। चीन (China) की हिमाकत तो देखिए उसने भारत की ही धरती से छाती ठोक कर कहा है कि ताइवान (Taiwan) उसका अभिन्न अंग है। उसे चीन से कभी अलग नहीं किया जा सकता है ना ये कभी उससे अलग होगा। एक दिन पहले ही अमेरिका (USA) ने ताइवान को आधुनिक हथियार बेचने का ऐलान किया था जिस पर चीन भड़क उठा है। अब इस भड़ास में वो ये बयान दे रहा है। ताइवान बीते एक महीने से लगातार इस बात की शिकायत कर रहा है कि उसके क्षेत्र में आए दिन चीनी लड़ाके और फाइटर जेट उड़ते दिखते हैं। ये सिलसिला तब से ज्यादा जोर पकड़ गया जब से भारत ने फिलीपींस को ब्रह्मोस मिसाइल (Brahmos) दी है। चीन चाहता है कि वो ताइवान पर अपना पूरा आधिपत्य जमाकर फिलीपींस (Philippines) जैसे दूसरे देशों को टक्कर दे सके और उन्हें भी अपनी विस्तारवादी नीति का शिकार बना सके।
बता दें कि ये बयान भारत की राजधानी नई दिल्ली में स्थित चीनी दूतावास (Chinese Embassy in India) ने दिया है। ताइवान के लगातार ये शिकायत करने पर कि चीनी लड़ाके और फाइटर जेट उसके क्षेत्र में देखे जा रहे हैं और ताइवान की सीमा के चारों और चीनी सेना अपने बंकर बनाती जा रही है जिस पर भारत समेत कई देशों ने प्रतिक्रिया दी थी।
1- चीन और ताइवान के बीच का संघर्ष आज-कल का नहीं बल्कि काफी पुराना है। जिसकी शुरुआत होती है चीन के गृहयुद्ध से…1949 में चीन के गृहयुद्ध के खत्म होने के बाद चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने मुख्यभूमि चीन पर नियंत्रण कर लिया, जबकि चीन की राष्ट्रीय पार्टी (कुओमिंतांग) ताइवान भाग गई। ताइवान को औपचारिक रूप से "रिपब्लिक ऑफ चाइना" (ROC) कहा जाता है, जबकि मुख्यभूमि को "पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना" (PRC) कहा जाता है।
2- पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (PRC) ताइवान को अपने क्षेत्र का हिस्सा मानता है और "एक चीन नीति" (One China Policy) के तहत इसे अपने नियंत्रण में लाने की कोशिश करता है। हालांकि ताइवान एक आज़ाद देश की तरह काम करता है और वो ये अपनी आजादी बनाए रखना चाहता है।
3- दरअसल दुनिया के ज्यादातर देशों ने PRC यानी पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना को मान्यता दी है और ताइवान के साथ औपचारिक कूटनीतिक संबंध भी नहीं रखते। हालांकि, ताइवान कई देशों के साथ अनौपचारिक संबंध और व्यापारिक साझेदारी बनाए रखता है ।
4- ताइवान संयुक्त राष्ट्र का सदस्य भी नहीं है और इसे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में सदस्यता लेने में मुश्किल भी होती है क्योंकि हर जगह चीन का दबाव रहता है।
PRC ताइवान को औपचारिक रूप से अपना मानता है। चीन की सरकार ताइवान को अपना एक अभिन्न हिस्सा मानती है। पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (PRC) की स्थापना के बाद से, चीन की सरकार ने ये दावा किया है कि ताइवान "एक चीन" का हिस्सा है और इसे चीन के बाकी हिस्से के साथ फिर मिलाने की जरूरत है। चीन के लिए ये राजनीतिक महत्व भी रखता है कि वो ताइवान को अपने क्षेत्र में शामिल करे ताकि उसकी राष्ट्रीय एकता और संप्रभुता बनी रहे। इसके अलावा चीन की सरकार और वहां के नागरिकों के लिए ताइवान पर नियंत्रण वहां के राष्ट्रीय गौरव का मुद्दा माना जाता है। इसे वहां के लोग देश की अखंडता और इतिहास के साथ जोड़कर देखते हैं।
1- ताइवान चीन के लिए एक अहम आर्थिक शक्ति है। खासकर सेमीकंडक्टर और उच्च प्रौद्योगिकी उद्योगों में। ताइवान की अर्थव्यवस्था का चीन में एकीकरण चीन की तकनीकी और औद्योगिक क्षमताओं को मजबूत कर सकता है। चीन मानता है कि ताइवान के संसाधन और तकनीकी विशेषज्ञता चीन की अर्थव्यवस्था के लिए अहम साबित हो सकते हैं।
2- ताइवान की भौगोलिक स्थिति चीन के लिए रणनीतिक तौर पर काफी अहम है। ताइवान स्ट्रेट और पूर्वी एशिया में इसके स्थान के कारण, ताइवान पर चीन का कंट्रोल क्षेत्रीय सैन्य और समुद्री श्रेष्ठता स्थापित करने में मदद कर सकता है। ये चीन को दक्षिण चीन सागर और पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में अपनी सैन्य मौजूदगी को मजबूत करने के लिहाज से काफी अहम है।
3- ताइवान के साथ अमेरिका के मजबूत संबंध चीन के लिए एक चुनौती हैं। ताइवान पर नियंत्रण करके, चीन अमेरिकी प्रभाव को कम कर सकता है और क्षेत्र में अपनी शक्ति बढ़ा सकता है। ताइवान पर कब्जा करके, चीन अमेरिका और उसके सहयोगियों को क्षेत्रीय सुरक्षा और राजनीतिक समीकरणों में कमजोर कर सकता है।
Updated on:
08 Jun 2024 02:47 pm
Published on:
08 Jun 2024 02:46 pm