
नेपाल के हिंसक प्रदर्शन के बाद पूर्व गृहमंत्री जांच कमेटी के सामने पेश हुए। (Photo-IANS)
Nepal Gen Z Protest: नेपाल में उच्च स्तरीय जांच कमेटी जेन-जी प्रदर्शन में हुई हिंसा की जांच कर रही है। इस जांच कमेटी के सामने हाल ही में नेपाल के पूर्व गृहमंत्री रमेश लेखक पेश हुए हैं। उन्होंने कमेटी के सामने एक चौंका देने वाला खुलासा किया है। पूर्व गृहमंत्री लेखक ने सोमवार को, प्रदर्शन की चल रही जांच में, अपनी गवाही दर्ज कराई। दरअसल, नेपाल में जेन-जी हिंसक प्रदर्शन सितंबर में हुआ था, जिसमें खबरों के मुताबिक, अत्यधिक बल प्रयोग के कारण 77 लोगों की मौत हुई थी।
बता दें कि जेन-जी आंदोलन के दौरान कई सरकारी संस्थानों को निशाना बनाया गया था। इनमें नेपाल सरकार का मुख्य प्रशासनिक केंद्र, सुप्रीम कोर्ट, देश भर में कई सरकारी दफ्तर, पुलिस चौकियां, राजनीतिक नेताओं के घर और कई बिजनेस कंपनियों की संपत्तियां भी शामिल हैं।
पूर्व गृहमंत्री रमेश लेखक ने आयोग से कहा कि उन्होंने प्रदर्शन शुरू होने से एक दिन पहले ही सुरक्षा एजेंसियों को निर्देश दे दिए थे। सुरक्षा बलों को निर्देश थे कि कोई हताहत न हो, साथ ही कम-से-कम बल का प्रयोग किया जाए। लेखक ने लिखित जवाब में दावा किया कि उन्होंने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ बल इस्तेमाल करने का कोई लिखित या मौखिक आदेश नहीं दिया था। साथ ही उन्होंने कहा, "कोई भी कानून, गृहमंत्री को बल इस्तेमाल के लिए निर्देश जारी करने का अधिकार नहीं देता है।"
बता दें कि लेखक के ऊपर आरोप है कि उन्होंने जेन-जी विद्रोह प्रदर्शन के दौरान अत्यधिक बल प्रयोग करने का आदेश दिया था।
हाल ही में जांच कमेटी ने पूर्व गृहमंत्री लेखक को तलब किया है। जांच अधिकारियों के अनुसार पूर्व प्रधानमंत्री ओली को भी तलब किया जा सकता है। जांच कमेटी पूर्व प्रधानमंत्री ओली का बयान भी दर्ज करना चाहती है। इस बीच के.पी. शर्मा ओली का बयान भी सामने आया है। उन्होंने कहा कि वह कमीशन के सामने गवाही नहीं देंगे। साथ ही उन्होंने जांच कमेटी पर एकतरफा होने का आरोप लगाया है।
एक टेलीविजन इंटरव्यू में पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा था, "अंतरिम प्रधानमंत्री और कमीशन की अध्यक्ष (गौरी बहादुर कार्की) ने मेरा नाम लिया है और कहा है कि मेरे साथ ऐसा-वैसा किया जाना चाहिए। जब उन्होंने पहले ही नतीजा बता दिया है तो मैं बयान क्यों दूं?"
गृहमंत्री लेखक ने कहा, "मैंने सुरक्षा एजेंसियों को घुसपैठियों के खिलाफ सतर्क रहने का निर्देश दिया था।" उन्होंने शांतिपूर्ण जेन जी आंदोलन को हाईजैक करने और विरोध प्रदर्शनों को हिंसक बनाने के लिए कुछ खास गुटों को दोषी ठहराया है, जिसके कारण 8 सितंबर को कई युवाओं की मौत हो गई थी।
लेखत ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि "असल में, यह एक सोची-समझी साजिश थी। यह देश और लोकतंत्र के खिलाफ पूर्वनियोजित हमला था," साथ ही उन्होंने दोषियों को सख्त-से-सख्त सजा देने की बात भी कही।
Published on:
29 Dec 2025 09:06 pm
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