
बांग्लादेश की सियासी पार्टियों ने चुनावी रोडमैप पर विरोध जताया है। (फोटो: IANS.)
Bangladesh Election Protests: बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के मुखिया नोबल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के चुनाव करवाने के समय को लेकर सियासी दलों में असहमति नजर आ रही है। हाल ही में चुनाव आयोग (EC) की ओर से घोषित चुनावी रोडमैप पर कट्टरपंथी इस्लामी दल जमात-ए-इस्लामी और नेशनल सिटीजन पार्टी (NCP) ने अपनी आपत्ति (Bangladesh Election Protests) जताई है। इन दलों का आरोप है कि यह रोडमैप स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव को सुनिश्चित करने में विफल रहेगा। जमात-ए-इस्लामी के नेताओं का कहना है कि मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस (Mohammad Yunus) ने जो चुनावी रोडमैप घोषित किया है, वह उनके वादे के खिलाफ है। जमात के एक वरिष्ठ नेता सैयद अब्दुल्लाह मुहम्मद ताहिर (Syed Abdullah Muhammad Tahir) ने कहा कि यह रोडमैप स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव को नष्ट करने की योजना का हिस्सा है।
उन्होंने आगे कहा कि जमात को फरवरी में चुनावों पर कोई आपत्ति नहीं है, बल्कि वे 15 फरवरी को होने वाले चुनावों के लिए अपनी तैयारियां कर रहे हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि चुनावी प्रक्रिया को निष्पक्ष बनाने के लिए कुछ मुद्दों को हल किया जाना आवश्यक है। इनमें जुलाई चार्टर को कानूनी आधार प्रदान करना और उसी के तहत चुनाव कराना शामिल है। इन मुद्दों के बिना, चुनाव आयोग द्वारा घोषित रोडमैप को असफल चुनाव की दिशा में एक कदम के रूप में देखा जा रहा है।
एनसीपी के वरिष्ठ नेता अरिफुल इस्लाम ने भी चुनाव आयोग द्वारा घोषित रोडमैप पर विरोध जताया है। उनका कहना है कि इस रोडमैप की घोषणा जुलाई चार्टर के कार्यान्वयन से पहले की गई है, जो अंतरिम सरकार के दिए गए आश्वासन का उल्लंघन है। उन्होंने स्पष्ट किया कि चुनावी रोडमैप की घोषणा को लेकर सरकार ने जो वादे किए थे, उन्हें नहीं निभाया गया है।
पिछले साल, बांग्लादेश में हिंसक प्रदर्शनों और सरकार विरोधी आंदोलनों के बाद शेख हसीना की अवामी लीग सरकार के खिलाफ विरोध तेज़ हुआ था। इसके बाद से आगामी चुनावों को लेकर अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है। सरकार के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शनों और असंतोष को देखते हुए, चुनावों को लेकर राजनीतिक दलों के बीच विवाद गहरा गया है। चुनावी रोडमैप की घोषणा ने इस असहमति को और बढ़ा दिया है।
चुनाव आयोग ने 13वीं संसद चुनाव के लिए 24 बिंदुओं वाला रोडमैप जारी किया है, जिसमें यह तय किया गया है कि फरवरी में रमजान से पहले चुनावी प्रक्रिया को पूरा किया जाएगा। आयोग का उद्देश्य चुनाव को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाना है, लेकिन राजनीतिक दलों के विरोध और आरोपों ने इस योजना पर सवाल उठाए हैं।
चुनाव आयोग का कहना है कि इस रोडमैप का मकसद बांग्लादेश में एक शांतिपूर्ण चुनावी माहौल बनाना है, जिसमें सभी दलों को बराबरी का मौका मिले। हालांकि, विपक्षी दलों का मानना है कि बिना जुलाई चार्टर को लागू किए, यह रोडमैप स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने में सक्षम नहीं है।
बांग्लादेश में अगले आम चुनावों को लेकर असमंजस का माहौल है। राजनीतिक दलों में गहरे मतभेद और चुनावी प्रक्रिया को लेकर चल रही तनातनी ने चुनावों की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं। अगर बांग्लादेश की सरकार और विपक्ष के बीच सहमति नहीं बनती है, तो चुनावों की निष्पक्षता पर गंभीर प्रश्न उठ सकते हैं।
बहरहाल चुनाव आयोग को इन असहमतियों को हल करने के लिए एक समावेशी और तटस्थ प्रक्रिया अपनानी होगी, ताकि बांग्लादेश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया की प्रतिष्ठा बनी रहे। यह देखना होगा कि क्या बांग्लादेश की राजनीतिक व्यवस्था अपने चुनावी रोडमैप को लागू कर पाएगी या फिर यह विवाद और तनाव बढ़ जाएगा।
Published on:
30 Aug 2025 06:37 pm
बड़ी खबरें
View Allविदेश
ट्रेंडिंग
