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क्या बांग्लादेश में एक बार फिर हो सकता है सत्ता परिवर्तन, जानिए किस पार्टी को मिल सकता है बड़ा मौका

Bangladesh political crisis 2025: बांग्लादेश में राजनीतिक हालात बहुत अस्थिर हैं। अवामी लीग पर प्रतिबंध और बीएनपी के उभार ने देश को गहरे सियासी संकट में डाल दिया है।

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भारत

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MI Zahir

Aug 09, 2025

मोहम्मद यूनुस (ANI Photo)

Bangladesh political crisis 2025: बांग्लादेश की अस्थायी सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस ने आश्वासन दिया है कि देश में चुनाव 2026 की शुरुआत तक कराए जाएंगे। बीएनपी (Bangladesh Nationalist Party) को प्रमुख दावेदार माना जा रहा है, जबकि सत्तारूढ़ अवामी लीग का भविष्य (Awami League future elections) अब भी अनिश्चित है। बीएनपी चाहती थी कि चुनाव दिसंबर 2025 से पहले हो जाएं(Bangladesh political crisis 2025), लेकिन यूनुस ने फरवरी 2026 तक का समय मांगा है, ताकि ज़रूरी संवैधानिक और चुनावी सुधार लागू किए जा सकें। यूनुस और बीएनपी नेता तारिक रहमान के बीच हुई बैठक में यह सहमति बनी। मुहम्मद यूनुस का कहना है कि जब तक सुधार नहीं होते, तब तक चुनाव नहीं होंगे। ये सुधार न्यायपालिका की स्वतंत्रता, प्रेस की आज़ादी और चुनाव प्रणाली में पारदर्शिता से जुड़े हैं। भारत की नज़र भी इन घटनाक्रमों पर बनी हुई है। भारत ने कहा है कि बांग्लादेश में लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकार का होना ज़रूरी है।

प्रदर्शनों और सुरक्षा बलों की भूमिका

शेख हसीना की सत्ता से विदाई एक बड़े छात्र आंदोलन के बाद हुई थी। आंदोलनकारियों पर सुरक्षा बलों ने कठोर कार्रवाई की थी। इसके कारण जनता का भरोसा सुरक्षा तंत्र से उठ गया है।

सुरक्षा एजेंसियों ने मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन किया

संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में बताया गया कि हसीना सरकार और सुरक्षा एजेंसियों ने मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन किया। अगस्त 2024 में हसीना देश छोड़ चुकी हैं और उनके खिलाफ कई मामले दर्ज हो चुके हैं।

क्या अवामी लीग चुनाव लड़ सकेगी ?

अवामी लीग पर बैन लगाने की संभावना बनी हुई है। हालांकि मुख्य चुनाव आयुक्त ए.एम.एम. नासिरुद्दीन ने कहा है कि जब तक सरकार या अदालत पार्टी पर रोक नहीं लगाती, तब तक वह चुनाव लड़ सकती है।

महिलाओं और अल्पसंख्यकों का असंतोष भड़क सकता है

अवामी लीग के खिलाफ यूनुस, बीएनपी, जमात-ए-इस्लामी और एनसीपी (नेशनल सिटिजन पार्टी) सभी खड़े हैं। अगर पार्टी पर पाबंदी लगती है तो ग्रामीण क्षेत्रों, महिलाओं और अल्पसंख्यकों में असंतोष भड़क सकता है, जहां इसका खासा जनाधार है।

कानून-व्यवस्था और चुनाव की पारदर्शिता

इस बार सरकार का जोर है कि पहले अपराधियों को सज़ा मिले और सेना व पुलिस में सुधार हो। यही लोगों का भरोसा वापस लाने का एकमात्र रास्ता है।

बीएनपी सत्ता में आते ही एकाधिकारवादी रुख अपना सकती है

बहरहाल अगर अवामी लीग को बैन किया गया, तो बीएनपी को एकतरफा बहुमत मिल सकता है। ऐसे में आशंका है कि लंबे समय से सत्ता से बाहर रही बीएनपी सत्ता में आते ही एकाधिकारवादी रुख अपना सकती है।