
Geopolitical Tension: भारत और बांग्लादेश के बीच वर्षों पुराने सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंध (Radicalization in Bangladesh)अब एक बेहद संवेदनशील और खतरनाक मोड़ पर पहुंच गए हैं। हालिया घटनाओं ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या बांग्लादेश अब भारत के लिए पाकिस्तान से भी बड़ी सुरक्षा चुनौती (India-Bangladesh Borders) बन रहा है। "दोस्ती का चोला और पीठ में छुरा" वाली कहावत आज के बांग्लादेशी परिदृश्य पर सटीक बैठती हुई नजर आ रही है। भारत की सुरक्षा एजेंसियां अब बांग्लादेश को पाकिस्तान के समान ही खतरनाक मानने लगी हैं। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण है बांग्लादेश में बढ़ती कट्टरपंथी ताकतों की सक्रियता। शेख हसीना सरकार के पतन के बाद से वहां कट्टरपंथी समूह जैसे 'इंकलाब मंच' और 'हिफ़ाज़त-ए-इस्लाम' का दबदबा बढ़ा है। ये संगठन न केवल भारत विरोधी जहर उगल रहे हैं, बल्कि सीधे तौर पर भारत की अखंडता को चुनौती दे रहे हैं।
हाल के महीनों में बांग्लादेशी सोशल मीडिया और सार्वजनिक रैलियों में कश्मीर को लेकर भड़काऊ बयानबाजी तेज हुई है। वहां के कट्टरपंथी नेता खुलेआम कश्मीर की "आजादी" की बात कर रहे हैं और भारतीय सुरक्षा बलों के खिलाफ प्रोपेगेंडा फैला रहे हैं। यह स्थिति पाकिस्तान के पुराने एजेंडे को नए स्वरूप में बांग्लादेश से खाद-पानी दे रही है।
भारत के चार प्रमुख राज्य ' पश्चिम बंगाल, असम, मेघालय और त्रिपुरा' बांग्लादेश के साथ लंबी और पोरस (छिद्रपूर्ण) सीमा साझा करते हैं। रिपोर्टों के अनुसार, बांग्लादेशी कट्टरपंथी संगठन इन राज्यों के अलगाववादी समूहों को शरण और समर्थन देने की धमकी दे रहे हैं। 'सात बहनों' (Seven Sisters) के नाम से जाने जाने वाले पूर्वोत्तर राज्यों में उग्रवाद को हवा देने के लिए बांग्लादेशी धरती का इस्तेमाल फिर से शुरू होने की आशंका जताई जा रही है।
बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों और विशेषकर हिंदुओं की स्थिति इस समय भयावह है। दिसंबर 2025 में मयमनसिंह शहर में दीपू चंद्र दास नाम के एक हिंदू युवक की भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या (मॉब लिंचिंग) और फिर उसके शव को आग के हवाले करने की घटना ने पूरी दुनिया को झकझोर दिया है।
हालत यह है कि ईशनिंदा के फर्जी आरोपों में हिंदुओं को निशाना बनाया जा रहा है, उनके मंदिरों को खंडित किया जा रहा है और व्यापारिक प्रतिष्ठानों को लूटा जा रहा है। आंकड़ों के अनुसार, 2024 से 2025 के बीच हिंदुओं के खिलाफ हिंसक घटनाओं में 500% से अधिक की वृद्धि हुई है।
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार कट्टरपंथियों को नियंत्रित करने में विफल नजर आ रही है। छात्र नेता उस्मान हादी की मौत के बाद भड़की हिंसा में भारतीय राजनयिक मिशनों और सांस्कृतिक केंद्रों को निशाना बनाया गया। कट्टरपंथी समूहों द्वारा खुलेआम "भारत छोड़ो" के नारे लगाए जा रहे हैं और भारतीय उत्पादों का बहिष्कार किया जा रहा है।
बहरहाल, यह स्पष्ट है कि बांग्लादेश के साथ भारत के रिश्ते अब केवल कूटनीति से नहीं सुधरेंगे। सीमा पर घुसपैठ, तस्करी और कट्टरपंथ का जो 'कॉकटेल' तैयार हो रहा है, वह भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए "टाइम बम" की तरह है। अब समय आ गया है कि भारत अपनी पूर्वी सीमा पर सुरक्षा को पाकिस्तान सीमा की तरह ही अभेद्य बनाए और बांग्लादेश की अंतरिम सरकार को अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए कड़े शब्दों में चेतावनी दे।
Updated on:
22 Dec 2025 04:33 pm
Published on:
22 Dec 2025 04:02 pm
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