
बांग्लादेश ने भेजी आमों की खेप (Photo-X @narendramodi)
India-Bangladesh Relation: भारत और बांग्लादेश के संबंधों में तनाव के बीच मिठास लाने की कोशिश करते हुए मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए प्रसिद्ध हरिभंगा आमों की एक खेप भेजी है। यह आम पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना द्वारा शुरू की गई 'आम कूटनीति' को जारी रखते हुए भेजा गया है। दोनों देशों के बीच दोस्ती और सद्भावना के प्रतीक रूप में भेजी गई यह 1000 किलो आम की खेप इसी सप्ताह नई दिल्ली पहुंचने की उम्मीद है।
इसके अलावा ढाका में यूनुस के नेतृत्व वाली सरकार ने बांग्लादेश की सीमा से लगे राज्यों को भी इन आमों की खेप भेजी है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा इन आम की खेपों को पाने वाले मुख्यमंत्रियों की सूची में हैं। बांग्लादेश में सांस्कृतिक संबंधों और क्षेत्रीय कूटनीति को मजबूत करने के लिए भारतीय प्रधानमंत्री और राज्य के नेताओं को मौसमी उपहार, विशेष रूप से आम, भेजने की एक लंबी परंपरा रही है।
बांग्लादेश की सरकार द्वारा आम डिप्लोमेसी की खबर ऐसे समय आई है जबकि ढाका में अल्पसंख्यकों पर हमले जारी हैं। इसी सप्ताह 43 वर्षीय हिंदू व्यापारी लाल चंद उर्फ सोहाग की नृशंस हत्या कर दी गई। उन्हें दिन दहाड़े ढाका के सर सलीमउल्लाह मेडिकल कॉलेज, मिटफोर्ड अस्पताल के सामने प्रतिद्ंवदी कारोबारियों ने मार डाला। इस घटना ने न केवल बांग्लादेशियों को, बल्कि दुनिया भर के लोगों को झकझोर दिया है। घटना के वायरल हो रहे दिल दहलाने वाले वीडियो में देखा जा सकता है कि उन्हें नंगा करके पत्थरों से मारा गया।उनके ऊपर बीच बाजार में कुछ लोगों को उन पर बड़े-बड़े पत्थर पटकते देखा जा सकता है। मामले में 7 लोगों के गिरफ्तार किया गया था। इसके पहले एक हिंदू महिला के साथ घर में घुसकर रेप की खबर भी हाल में आई थी।
बांग्लादेश में 2013 के शाहबाग आंदोलन के दौरान बनाए गए एक और ढांचे को गिरा दिया गया। यह ढांचा बांग्लादेश मुक्ति संग्राम की भावना और युद्ध अपराधियों को सजा दिलाने की मांग का प्रतीक माना जाता था। प्रोजोन्मो चत्तर नाम का यह ढांचा शनिवार तड़के उसी विभाग ने गिरा दिया जिस पर इसके रख-रखाव का जिम्मा था।
सोमवार को बांग्लादेश अल्पसंख्यक मानवाधिकार कांग्रेस (एचआरसीबीएम) ने देश भर में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों को परेशान करने, धमकाने और बेदखल करने के लिए झूठे आपराधिक मामलों के व्यवस्थित दुरुपयोग के खिलाफ उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की है, जिसका उद्देश्य बांग्लादेश के धार्मिक अल्पसंख्यकों के कानूनी उत्पीड़न को उजागर करना है।
Updated on:
14 Jul 2025 09:49 pm
Published on:
14 Jul 2025 06:56 pm
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