BRICS Summit 2025 India Stand on US Tariffs and Israel Conflict: संडे से ब्राजील के रियो में दो दिवसीय ब्रिक्स शिखर सम्मेलन (BRICS Summit 2025) शुरू होने जा रहा है। इस सम्मेलन में कई बड़े वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की जाएगी, जिनमें आतंकवाद, अमेरिकी टैरिफ (India stand on US tariffs), और गाजा पट्टी में इजरायल (Israel Gaza conflict BRICS) की कार्रवाई शामिल हैं। ब्रिक्स घोषणापत्र (BRICS declaration 2025) में भारत की आतंकवाद विरोधी नीति को प्रमुखता से शामिल किए जाने की संभावना है। साथ ही सम्मेलन में यह भी अपेक्षा की जा रही है कि सभी सदस्य देश अमेरिका के टैरिफ और गाजा में इजरायल की सैन्य कार्रवाई पर एक मजबूत साझा बयान देंगे।
ब्रिक्स नेताओं के बीच बातचीत में अमेरिकी टैरिफ की आलोचना और गाजा में मानवीय संकट को लेकर चिंता जाहिर करने वाले प्रस्ताव शामिल हैं। लेकिन अमेरिका या ट्रंप प्रशासन का नाम लेने पर कुछ देशों ने असहजता जताई है, जिससे अंतिम बयान की भाषा में संतुलन बनाने की कोशिश हो रही है।
भारत ने हाल ही में इजरायल-गाजा युद्ध पर UNGA में मतदान से दूरी बनाई थी। इसी तरह, SCO के एक बयान से भी खुद को अलग कर लिया था जिसमें ईरान पर इजरायल के हमलों की निंदा की गई थी। हालांकि, ब्रिक्स जैसे मंच पर भारत ने अधिक लचीला रुख अपनाया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सम्मेलन में सीमा पार आतंकवाद, खासकर पाकिस्तान की भूमिका, को अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठाने की योजना में हैं। हालिया पहलगाम हमले का उल्लेख करके वे इस मुद्दे पर वैश्विक समर्थन जुटा सकते हैं।
ब्रिक्स मंच पर भारत की प्राथमिकता बहुपक्षीय सुधार, सतत विकास, आतंकवाद का मुकाबला, और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देना है। भारत चाहता है कि यह मंच वैश्विक दक्षिण की आवाज बने और एक निष्पक्ष विश्व व्यवस्था की दिशा में काम करे।
ब्रिक्स घोषणापत्र 7 जुलाई को सार्वजनिक किया जाएगा। यह देखना अहम होगा कि अंतिम दस्तावेज़ में गाजा संकट, अमेरिकी टैरिफ और भारत की आतंकवाद पर स्थिति को कितना महत्व दिया गया है। इसके बाद भारत का आधिकारिक पक्ष और प्रधानमंत्री मोदी का भाषण भी अहम संकेत देंगे।
ब्रिक्स का यह सम्मेलन ऐसे समय हो रहा है जब अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध तेज़ हो रहा है और मध्य पूर्व में लगातार अस्थिरता बनी हुई है। भारत ऐसे समय पर दो विरोधी ध्रुवों के बीच संतुलन बनाने की कोशिश कर रहा है, जो उसके वैश्विक नेतृत्व की रणनीति को भी दर्शाता है। साथ ही, भारत इस मंच का उपयोग संयुक्त राष्ट्र में बहुपक्षीय सुधार की वकालत के लिए भी कर सकता है।
बहरहाल ब्रिक्स सम्मेलन में प्रस्तावित मसौदे को लेकर अलग-अलग देशों की प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं। जहां कुछ सदस्य अमेरिका के टैरिफ और इजरायल की कार्रवाई की खुलकर आलोचना के पक्ष में हैं, वहीं कुछ देश इस मसले पर संयमित भाषा अपनाने की मांग कर रहे हैं। भारत की ओर से फिलहाल कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन कूटनीतिक हलकों में इसे संतुलन साधने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।
Updated on:
06 Jul 2025 07:12 am
Published on:
06 Jul 2025 07:11 am