
कनाडा ने दुनिया भर से आने वाले विद्यार्थियों को धोखाधड़ी से बचाने के लिए वेरिफिकेशन के नए नियम बनाए हैं। इन नियमों के तहत अब पोस्ट-सेकेंडरी डिजेगनेटेड लर्निंग इंस्टीट्यूशनों (डीएलआइ) को एक दिसंबर से शुरू होने वाले स्टडी परमिट जारी करने से पहले नई वेरिफिकेशन प्रोसेस के जरिए प्रत्येक आवेदक के स्वीकृति पत्र की पुष्टि करनी होगी।
छात्रों के साथ होने वाली धोखाधड़ी को रोका जा सकेगा
कनाडा सरकार ने कहा है उन्हें इंटरनेशनल स्टूडेंट प्रोग्राम में कुछ गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। कनाडा के मंत्री मिनिस्टर मार्क मिलर ने कहा कि नई प्रक्रिया के बाद अंतरराष्ट्रीय छात्रों के साथ होने वाली धोखाधड़ी को रोका जा सकेगा। नई व्यवस्था के तहत स्टडी परमिट केवल वास्तविक स्वीकृति पत्रों के आधार पर ही जारी किए जा सकेंगे।
भारतीय छात्र हुए थे धोखाधड़ी के शिकार
कनाडा बॉर्डर सर्विसेज एजेंसी ने इस साल की शुरुआत में लगभग 700 भारतीय छात्रों को निर्वासन पत्र जारी किए थे। इनमें से ज्यादातर छात्र पंजाब से थे। उनके कनाडाई विश्वविद्यालयों में एडमीशन के लिए प्रवेश पत्र फर्जी थे। हालांकि छात्रों ने दावा किया था कि फर्जी पत्रों का मुद्दा पांच साल बाद ही सामने आया, जब उन्होंने स्थायी निवास के लिए आवेदन किया था। इनमें से अधिकांश छात्र 2018 में कनाडा पहुंचे थे। हालांकि दावा किया गया कि फर्जी पत्रों का मुद्दा पांच साल बाद ही सामने आया जब उन्होंने स्थायी निवास के लिए आवेदन किया।
कनाडाई संसद में उठा था मुद्दा
साल 2024 में समाप्त होने वाले सेमेस्टर के समय आईआरसीसी पोस्ट-सेकेंडरी डीएलआई को लाभ पहुंचाने के लिए एक "मान्यता प्राप्त संस्थान" फ्रेमवर्क को अपनाएगा। इससे अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए सेवाओं, समर्थन और नतीजों के लिए उच्च मानक निर्धारित किए जाते हैं। कनाडाई सरकार ने कहा, इन डीएलआई को जोड़ने से लाभ होगा। फर्जी वीजा फ्रॉड का मुद्दा कनाडाई संसद में भी गूंजा था। वहां के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा था कि उनका ध्यान "दोषियों की पहचान करने पर है न कि पीड़ितों को दंडित करने पर।"
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Published on:
29 Oct 2023 09:10 am
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