China 240-hour visa-free transit policy: चीन की 240 घंटे की पारगमन वीजा-मुक्त नीति (China visa-free policy) को इंडोनेशिया, रूस और ब्रिटेन सहित 55 देशों से आने वाले लोगों के लिए बढ़ा दिया गया है, जो पर्यटन और व्यवसाय में शामिल हो सकेंगे। यह जानकारी सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने दी। इस नीति के तहत, इन देशों के नागरिक अब चीन में बिना वीज़ा के 10 दिन तक (240 hour transit visa China) रह सकते हैं, बशर्ते वे चीन से किसी तीसरे देश की ओर ट्रांज़िट कर रहे हों। यह नीति 12 जून 2025 से प्रभावी हुई है और इसका उद्देश्य पर्यटन और व्यापार को बढ़ावा देना है।
चीन की इस वीज़ा-मुक्त नीति में शामिल देशों में रूस, ब्रिटेन, अमेरिका, कनाडा, ब्राज़ील, जापान, सिंगापुर, सऊदी अरब, फ्रांस, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया, नीदरलैंड, स्वीडन, डेनमार्क, फिनलैंड, बेल्जियम, इटली, स्विट्ज़रलैंड, स्पेन, पुर्तगाल, पोलैंड, चेक गणराज्य, हंगरी, स्लोवाकिया, ऑस्ट्रिया, लिथुआनिया, लातविया, एस्टोनिया, माल्टा, साइप्रस, रोमानिया, बुल्गारिया, क्रोएशिया, स्लोवेनिया, मोंटेनेग्रो, उत्तर मैसेडोनिया, मालदीव, क्यूबा, पनामा, पेरू, चिली, अर्जेंटीना, कोलंबिया, इक्वाडोर, क्यूबा, और अन्य शामिल हैं।
हैरानी की बात यह है कि इस सूची में भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे दक्षिण एशियाई देश शामिल नहीं हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला केवल पर्यटन नीति नहीं, बल्कि विदेश नीति से भी जुड़ा हुआ है। भारत को बाहर रखने से यह संकेत मिलता है कि बीजिंग अभी भी राजनीतिक-सुरक्षा स्तर पर सतर्क है।
चीन ने भारत को इस वीज़ा-मुक्त नीति से बाहर रखा है, जिसका अर्थ है कि भारतीय नागरिकों को चीन में प्रवेश के लिए पारंपरिक वीज़ा प्रक्रिया का पालन करना होगा। यह निर्णय चीन और भारत के बीच मौजूदा द्विपक्षीय संबंधों और सुरक्षा चिंताओं के कारण लिया गया प्रतीत होता है। हालांकि, यह नीति भारत के नागरिकों के लिए यात्रा में अतिरिक्त समय और लागत का कारण बनेगी।
पर्यटन और एयर ट्रैवल विशेषज्ञों ने चीन की इस नई नीति को 'आर्थिक रूप से लाभकारी, लेकिन रणनीतिक रूप से सीमित' बताया है। भारत को इस सूची से बाहर रखने पर सोशल मीडिया और रणनीतिक हलकों में तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। कुछ ने इसे चीन की 'डिप्लोमैटिक दूरी बनाए रखने की नीति' कहा है।
अब देखना होगा कि क्या भविष्य में चीन भारत को इस सूची में शामिल करता है या नहीं। वहीं, भारत की ओर से इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। एयरलाइंस और टूरिज़्म इंडस्ट्री इस फैसले से कैसे प्रभावित होती हैं, इस पर अगले कुछ हफ्तों में असर दिख सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि चीन के इस कदम के बाद भारत भी अपनी ट्रांजिट नीति की समीक्षा कर सकता है। भारत ने हाल ही में कुछ यूरोपीय और एशियाई देशों के लिए ई-वीज़ा और वीज़ा ऑन अराइवल की सुविधा बढ़ाई है, लेकिन चीन के लिए कोई विशेष नीति अभी तक नहीं बनाई गई है।
Published on:
13 Jun 2025 04:28 pm