22 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

आतंकवाद और हैकिंग से मुकाबले के लिए चीन ने उठाया ये सख्त कदम, कितना तैयार है भारत

समाजवादी प्रणाली को उखाडऩे, देश को तोड़ने, राष्ट्रीय एकता को कमजोर करने, आतंक व अतिवाद की वकालत करने की कोशिश जैसी सभी ऑनलाइन गतिविधियां प्रतिबंधित की गई हैं।

less than 1 minute read
Google source verification

image

Rajeev sharma

Nov 08, 2016

चीनी संसद ने सोमवार को विवादित साइबर सुरक्षा कानून लागू कर दिया। इस कठोर कानून को लागू करने के पीछे उसने आतंक और हैकिंग जैसे बढ़ते खतरों का हवाला दिया है।

उसने राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए इसको जरूरी बताया है। वहीं, उद्योग जगत, मानवाधिकार संगठनों सहित कई देश इस कानून पर अपनी असहमति जता सकते हैं। ऐसी भी अटकलें है कि अपने विरोधियों पर शिकंजा कसने के लिए चीन ने ऐसी साइबर वॉल तैयार की है।

2017 में प्रभावी होगा कानून

चीनी संसद नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (एनपीसी) में पारित यह कानून जून, 2017 से प्रभावी होगा। विदेशी मामलों के आलोचकों का कहना है कि इस कानून के लागू होने के बाद विभिन्न देशों की सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) कंपनियों के बंद होने का खतरा मंडरा सकता है, क्योंकि उन्हें संवेदनशीलता के दायरे में लाया जा सकेगा।

ऑनलाइन सेंसरशिप

इस कानून में विवादित डाटा को भी चीनी कंप्यूटरों के सर्वर में स्टोर करने का प्रावधान है। मानवाधिकार की वकालत करने वाले भी मानते हैं कि इससे चीन के उस इंटरनेट पर प्रतिबंध में वृद्धि होगी, जो पहले से ही दुनिया के सबसे जटिल ऑनलाइन सेंसरशिप तंत्र के अधीन है।

यह है प्रावधान

किसी भी व्यक्ति या संगठन को इंटरनेट पर सुरक्षा को खतरे में डालने या राष्ट्र की सुरक्षा, सम्मान तथा हितों को नष्ट करने के लिए इसके इस्तेमाल की अनुमति नहीं होगी।

समाजवादी प्रणाली को उखाडऩे, देश को तोड़ने, राष्ट्रीय एकता को कमजोर करने, आतंक व अतिवाद की वकालत करने की कोशिश जैसी सभी ऑनलाइन गतिविधियां प्रतिबंधित की गई हैं।

ये भी पढ़ें

image