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चीन ने ताइवान के पास शुरू किया सैन्याभ्यास, दोनों देशों में और बढ़ेगा तनाव

China-Taiwan Conflict: चीन ने ताइवान के पास सैन्याभ्यास शुरू कर दिया है। इससे न सिर्फ ताइवान की टेंशन बढ़ गई है, बल्कि दोनों देशों के बीच तनाव भी और बढ़ेगा।

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Chinese Warship

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चीन (China) और ताइवान (Taiwan) के बीच लंबे समय से विवाद चला आ रहा है। दोनों देशों के बीच लंबे समय से चल रहे विवाद से दोनों देशों के बीच तनाव की स्थिति भी बनी हुई है। हालांकि पिछले एक साल में चीन और ताइवान के बीच टेंशन और भी बढ़ी है। चीन से चल रही टेंशन के बीच ताइवान को अमेरिका (United States Of America) का समर्थन मिलने से भी चीन की नाराज़गी बढ़ी है। हाल ही में लाई चिंग-ते (Lai Ching-te) ने ताइवान के नए राष्ट्रपति के तौर पर शपथ भी ली है। इतना ही नहीं, ताइवान अमेरिका से हथियार भी खरीद रहा है। ऐसे में चीन ताइवान की इन हरकतों को अलगाववादी मानता है और इसी वजह से उसने ताइवान की बॉर्डर के पास एक बार फिर सैन्याभ्यास किया।

ताइवान को घेरते हुए किया सैन्याभ्यास

चीन की सेना ने आज ताइवान को घेरते हुए सैन्याभ्यास किया। इसमें एयर फोर्स, नेवी और आर्मी शामिल रही और कई फाइटर जेट्स और वॉरशिप्स का भी इस्तेमाल किया गया।


सज़ा के तौर पर किया सैन्याभ्यास

चीन ने आज ताइवान को चेतावनी देने के लिए और उसकी हरकतों की सज़ा के तौर पर ताइवान को घेरते हुए सैन्याभ्यास किया। इतना ही नहीं, चीन की तरफ से यह भी साफ कर दिया गया कि ताइवान की स्वतंत्रता सेना के सिर तोड़ दिए जाएंगे और उनका खून भी बहाया जाएगा।

पहला मौका नहीं

यह पहला मौका नहीं है जब चीन ने ताइवान के पास सैन्याभ्यास किया है। पिछले एक साल में चीन कई बार ऐसा कर चुका है। चीन के ऐसा करने को उसके ताइवान को घेरने की तैयारी भी बताया जाता है।

ताइवान ने की चीन के सैन्याभ्यास की निंदा

ताइवान ने चीन के सैन्याभ्यास की निंदा की है। ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने चीन की इस हरकत की निंदा करते हुए एयर फोर्स, नेवी और आर्मी को स्थिति को सामान्य बनाए रखने और देश की स्वतंत्रता और लोकतंत्र बनाए रखने के लिए तैनात कर दिया है।

क्या है चीन और ताइवान के बीच विवाद की वजह?

दरअसल चीन और ताइवान 1949 में एक-दूसरे से अलग हो गए थे। तभी से ताइवान अपना स्वतंत्र अस्तित्व मानता है और खुद को एक स्वतंत्र देश बताता है। दूसरे कई देश भी ताइवान को एक स्वतंत्र देश मानते हैं। वहीं चीन इसका विरोध करता है और ताइवान को अपना हिस्सा मानता है। दोनों देशों के बीच विवाद की यही वजह है।

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