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PM Modi ने मां काली के मंदिर में किया था सोने का मुकुट गिफ्ट, बांग्लादेश से हुआ चोरी

Bangladesh: जिस जेशोरेश्वरी मंदिर में ये चोरी की घटना हुई है, वो माता के 51 शक्तिपीठों में से एक है, ये बांग्लादेश के सतखीरा के श्यामनगर में है।

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crown stolen from Jeshoreshwari temple in Bangladesh PM Modi gifted it

crown stolen from Jeshoreshwari temple in Bangladesh PM Modi gifted it

Bangladesh: 51 शक्तिपीठों में से एक बांग्लादेश में स्थित जेशोरेश्वरी मंदिर से मां काली का मुकुट चोरी हो गया है। खास बात ये है कि ये वही मुकुट है जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने साल 2021 में बांग्लादेश की यात्रा के दौरान मंदिर को भेंट स्वरूप दिया था। बांग्लादेश की डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक ये शक्तिपीठ बांग्लादेश के सतखीरा के श्यामनगर में स्थित है। ये चोरी बीते गुरुवार को दोपहर 2.00 बजे से 2.30 बजे के बीच हुई, जब मंदिर के पुजारी दिलीप मुखर्जी दिन की पूजा के बाद चले गए। द डेली स्टार की रिपोर्ट के अनुसार, बाद में सफाई कर्मचारियों ने पाया कि देवी के सिर से मुकुट गायब था। श्यामनगर पुलिस स्टेशन के इंस्पेक्टर तैजुल इस्लाम ने कहा, "हम चोर की पहचान करने के लिए मंदिर के सीसीटीवी फुटेज की समीक्षा कर रहे हैं।"

2021 को शक्तिपीठ के PM मोदी ने किए थे दर्शन

प्रधानमंत्री मोदी ने 27 मार्च, 2021 को बांग्लादेश की अपनी यात्रा के दौरान जेशोरेश्वरी मंदिर का दौरा किया। उस दिन उन्होंने प्रतीकात्मक रूप से देवता के सिर पर मुकुट रखा। प्रधानमंत्री मोदी ने मंदिर की अपनी यात्रा का एक वीडियो भी साझा किया, जो कोविड-19 महामारी के बाद किसी भी देश की उनकी पहली यात्रा थी।

12 वीं शताब्दी में हुआ था मंदिर का निर्माण

चांदी और सोने की परत से बना चोरी हुआ मुकुट महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व रखता है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, जेशोरेश्वरी मंदिर भारत और पड़ोसी देशों में फैले 51 शक्ति पीठों में से एक है। जेशोरेश्वरी नाम का अर्थ है "जेशोर की देवी।" जेशोरेश्वरी काली मंदिर देवी काली को समर्पित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है, यह मंदिर ईश्वरीपुर में स्थित है - श्याम नगर, सतखीरा उपजिला का एक गांव। ऐसा माना जाता है कि मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में अनारी नामक एक ब्राह्मण ने करवाया था।

माता सती की हथेलियां और पैरों के तलवे गिरे थे

उन्होंने जशोरेश्वरी पीठ (मंदिर) के लिए 100 दरवाजों वाला मंदिर बनवाया था और बाद में 13वीं शताब्दी में लक्ष्मण सेन ने इसका जीर्णोद्धार करवाया और अंत में, राजा प्रतापदित्य ने 16वीं शताब्दी में मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, 51 पीठों में से ईश्वरीपुर का मंदिर वह स्थान है जहाँ देवी सती के हथेलियाँ और पैरों के तलवे गिरे थे और देवी यहाँ देवी जशोरेश्वरी के रूप में निवास करती हैं और भगवान शिव चंदा के रूप में प्रकट होते हैं।

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