
Donald Trump
Federal Worker Lay off: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सरकारी कर्मचारियों की छंटनी का जब से आदेश दिया है तब से 15000 से ज्यादा लोगों को नौकरी से निकाला जा चुका है। वहीं अब खबर सामने आई है कि ट्रंप (Donald Trump) ने कुछ एजेंसियों से छंटनी का आदेश वापस ले लिया है। क्योंकि इसका सीधा असर सरकारी काम-काज पर पड़ रहा है। इसमें बर्ड फ्लू (Bird Flue) और परमाणु सुरक्षा जैसे अहम कार्यों पर काम काम कर रहे कर्मचारी शामिल हैं।
फोर्ब्स की रिपोर्ट के मुताबिक ट्रंप प्रशासन ने खाद्य एवं औषधि प्रशासन, नेशनल पार्क सर्विस, कृषि विभाग, राष्ट्रीय परमाणु सुरक्षा प्रशासन, ऊर्जा विभाग, स्वास्थ्य एवं मानव सेवा विभाग की भारतीय स्वास्थ्य सेवा, मेरिट सिस्टम प्रोटेक्शन बोर्ड जैसे विभाग और एजेंसी से छंटनी के आदेश को वापस लिया है।
NBC न्यूज के मुताबिक खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने कर्मचारियों को ये बताना शुरू कर दिया है उनकी बर्खास्तगी शुक्रवार रात (स्थानीय समय) को रद्द कर दी गई थी, क्योंकि इस छंटनी का व्यापार समूह ने काफी विरोध जताया था। वहीं नेशनल पार्क सर्विस से निकाले गए कम से कम 50 लोगों को वापस काम पर रखा जा रहा है। इसके अलावा सरकार ने 7,700 पदों पर नियुक्ति का वादा भी किया है। इससे पहले ट्रंप के आदेश के तहत 1000 कार्मिकों को नौकरी से निकाल दिया गया था।
गौर करने वाली बात ये है कि डोनाल्ड ट्रंप के आदेश के मुताबिक उस एजेंसी के कर्मियों को भी नौकरी से निकाला गया जिस एजेंसी की फंडिंग पर भारत में विवाद उठा है। ये एजेंसी है USAID से 1600 कर्मचारियों को नौकरी से निकाला गया है। ये एजेंसी दुनिया के कई देशों में अलग-अलग मदों में फंड जारी करती थी। अमेरिका के सरकारी दक्षता विभाग (DOGE) ने USAID की तरफ से भारत को जी जा रही 21 मिलियन डॉलर की फंडिंग को रोक दिया गया था।
बता दें कि USAID की स्थापना 1961 में की गई थी। इसमें छंटनी से पहले तक करीब 10 हजार कर्मचारी काम कर रहे थे। छंटनी के आदेश के मुताबिक 23 फरवरी की आधी रात से कोर लीडरशिप से जुड़े कर्मचारियों को छोडक़र सभी कर्मियों को प्रशासनिक छुट्टी पर भेज दिया गया है। इनमें वो लोग शामिल हैं जिन्होंने इस कटौती को रोकने के लिए मुकदमे दायर किए थे।
1. ट्रंप हाल ही कार्यकारी आदेश से विदेशी सहायता फंडिंग पर 90 दिन की रोक लगा चुके हैं। इस रोक का असर भुखमरी, संक्रामक रोगों और विस्थापन संकट से निपटने वाले कई कार्यक्रमों पर पड़ा है।
2. हालांकि सुरक्षा और मादक पदार्थ विरोधी अभियानों के लिए 5.3 अरब डॉलर की छूट दी गई, लेकिन USAID को सिर्फ 10 करोड़ डॉलर का सीमित बजट मिला। पहले इसे सालाना करीब 40 अरब डॉलर का बजट मिलता था।
3. USAID दशकों से अमेरिका की ‘सॉफ्ट पावर’ कूटनीति का अहम हिस्सा रही है। इसके खिलाफ सख्ती से वैश्विक मानवीय प्रयासों पर असर पडऩे की आशंका जताई जा रही है।
4. विश्लेषकों का कहना है कि USIAD का बजट और कर्मचारियों में कटौती मानवीय प्रयासों में अमेरिका की वैश्विक मौजूदगी को कमजोर कर सकती है। इससे दूसरे देश, विशेष रूप से चीन, अपनी पकड़ मजबूत कर सकते हैं।
Published on:
25 Feb 2025 09:14 am
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