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बड़े शहरों की डंपिंग साइट्स भी बढ़ती गर्मी के लिए जिम्मेदार

कचरे से खतरा : यूनिवर्सिटी ऑफ एरिजोना के वैज्ञानिकों का अपने किस्म का पहला शोध, भारी मात्रा में निकलने वाली मीथेन से बढ़ी ग्लोबल वार्मिंग

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बड़े शहरों की डंपिंग साइट्स भी बढ़ती गर्मी के लिए जिम्मेदार

बड़े शहरों की डंपिंग साइट्स भी बढ़ती गर्मी के लिए जिम्मेदार

वॉशिंगटन. कचरों की डंपिंग साइट्स भी बड़े शहरों के तापमान में बढ़ोतरी और ग्लोबल वार्मिंग के लिए जिम्मेदार हैं। इन साइट्स से बड़ी मात्रा में मीथेन गैस निकलती है। जिन शहरों में कचरों के पहाड़ जितने बड़े हैं, वहां तापमान उतना ज्यादा है। अमरीकी वैज्ञानिकों के शोध में यह खुलासा हुआ है।

अमरीका की यूनिवर्सिटी ऑफ एरिजोना के वैज्ञानिकों के साइंस जर्नल में प्रकाशित शोध के मुताबिक कचरे के पहाड़ शहरों के साथ-साथ राज्यों, देश और दुनिया में जलवायु परिवर्तन कर रहे हैं। डंपिंग साइट्स को लेकर अपने किस्म का यह पहला शोध है। शोधकर्ताओं का कहना है कि मीथेन का उत्सर्जन आम तौर पर तेल और गैस कारखानों से होता है या मवेशियों से। इन पर तो नजर रखी जा रही है, लेकिन डंपिंग साइट्स पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। शोध में अमरीकी शहरों की 1,200 बड़ी डंपिंग साइट्स को शामिल किया गया।

सीओ2 से भी ज्यादा खतरनाक मीथेन गैस

शोधकर्ताओं के मुताबिक कार्बन डॉइऑक्साइड (सीओ2) की तरह मीथेन भी प्रमुख ग्रीनहाउस गैस है। इसकी वजह से दुनिया गर्म हो रही है। मीथेन आसमान में अदृश्य लेयर बना देती है। इससे सूरज की गर्मी वायुमंडल से बाहर नहीं निकल पाती और गर्मी बढ़ जाती है। मीथेन वायुमंडल में कम समय के लिए रुकती है, लेकिन कार्बन डाइऑक्साइड से 80 गुना ज्यादा गर्मी ट्रैप करती है।

प्रदूषण के साथ आग का भी खतरा

शोध के मुख्य लेखक डेनियल एच. कसवर्थ का कहना है कि डंपिंग साइट्स के कारण आसपास का इलाका प्रदूषित रहता है। साइट्स में पड़े जैविक पदार्थ भारी मात्रा में मीथेन निकालते हैं। इससे चारों तरफ ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है। डंपिंग के अंदर जमा मीथेन के कारण आग लगने का खतरा रहता है। यह आग जल्दी नहीं बुझती। इससे भी आसपास के इलाके भट्टी बन जाते हैं।