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U.S. Policies Under Fire: भारत के तीन पड़ोसी देश पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के कुछ नेताओं और जनता का एक वर्ग यह मानता है कि उनके देश में अस्थिरता के लिए अमेरिका जिम्मेदार है। हम इन तीन देशों के परिप्रेक्ष्य को विस्तार से समझेंगे और देखेंगे कि कैसे ये देश अमेरिका को अपनी समस्याओं का दोषी मानते हैं।
पाकिस्तान में इमरान खान (Imran Khan), जो पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के अध्यक्ष हैं, ने कई बार अमेरिका को पाकिस्तान की समस्याओं के लिए जिम्मेदार ठहराया है। उनका कहना है कि अमेरिकी नीतियाँ और विदेश नीति पाकिस्तान की आंतरिक स्थिति को और भी खराब कर रही हैं।
आर्थिक संकट: इमरान खान का कहना है कि अमेरिकी दबाव और आर्थिक सख्ती ने पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को कमजोर किया है। उन्होंने विशेष रूप से अमेरिका के द्वारा पाकिस्तान को वित्तीय सहायता की कमी और कर्ज के लिए जिम्मेदार ठहराया है।
आतंकी गतिविधियाँ: इमरान खान का आरोप है कि अमेरिका की सैन्य कार्रवाई और ड्रोन हमले पाकिस्तान में आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा दे रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका ने पाकिस्तान को आतंकवाद से लड़ने के नाम पर काफी दबाव में डाला है।
जियो-पॉलिटिकल दबाव: इमरान खान का कहना है कि अमेरिका के जियो-पॉलिटिकल खेलों के कारण पाकिस्तान की विदेश नीति और आंतरिक राजनीति प्रभावित हो रही है, जिससे पाकिस्तान की स्थिरता को खतरा हो रहा है।
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ( Sheikh Hasina) ने अमेरिका को बांग्लादेश की समस्याओं के लिए दोषी ठहराया है। उनका आरोप है कि अमेरिका की नीतियाँ और गतिविधियाँ बांग्लादेश की आंतरिक स्थिरता और विकास को प्रभावित कर रही हैं।
राजनीतिक अस्थिरता: शेख हसीना का कहना है कि अमेरिका ने बांग्लादेश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप किया है, जिससे देश की राजनीतिक अस्थिरता बढ़ी है। उन्होंने आरोप लगाया कि अमेरिका ने विपक्षी दलों को समर्थन देकर सरकार की स्थिति को कमजोर किया है।
मानवाधिकार: शेख हसीना का आरोप है कि अमेरिका ने बांग्लादेश में मानवाधिकार उल्लंघनों के मुद्दे को उठाकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय में बांग्लादेश की छवि को नुकसान पहुँचाया है। उनका कहना है कि अमेरिका का यह हस्तक्षेप बांग्लादेश की आंतरिक समस्याओं को और जटिल बना रहा है।
आर्थिक सहायता: शेख हसीना का कहना है कि अमेरिका द्वारा दी जाने वाली आर्थिक सहायता की शर्तें और दबाव बांग्लादेश के आर्थिक विकास को प्रभावित कर रहे हैं।
दो दशक पहले अमेरिका ने एक बड़े सैन्य अभियान में तालिबान को अफ़गानिस्ता की सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाया. लेकिन अब जब यहां से अमेरिकी नेतृत्व वाली विदेशी सेनाएं वापस चली गई हैं, तालिबान एक बार फिर सत्ता में वापसी कर चुका है।बीते दो दशकों में चार अमेरिकी राष्ट्रपतियों ने अफ़ग़ानिस्तान में अभियान से जुड़े अहम फ़ैसले लिए थे।अफगानिस्तान में भी अमेरिकी नीतियों को लेकर गहरी नाराजगी है। अफगानिस्तान के विभिन्न नेताओं का कहना है कि अमेरिका की कार्रवाई और नीतियाँ अफगानिस्तान की स्थिरता और सुरक्षा को प्रभावित कर रही हैं।
सैन्य हस्तक्षेप: अफगान नेताओं का कहना है कि अमेरिका का सैन्य हस्तक्षेप और अफगानिस्तान में लंबे समय तक सैन्य उपस्थिति ने देश में युद्ध और हिंसा को बढ़ावा दिया है। उन्होंने कहा कि अमेरिका की नीतियाँ अफगानिस्तान की आंतरिक स्थिरता को कमजोर कर रही हैं।
राजनीतिक विफलता: अमेरिका द्वारा समर्थित सरकारें और प्रशासन अफगानिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता और भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रही हैं। अफगान नेताओं का कहना है कि अमेरिका के द्वारा समर्थन किए गए प्रशासन की विफलताओं का असर देश की स्थिति पर पड़ रहा है।
मानवाधिकार उल्लंघन: अमेरिका के हस्तक्षेप के दौरान मानवाधिकार उल्लंघनों की शिकायतें भी आई हैं। अफगान नेताओं का कहना है कि अमेरिका की नीतियों के कारण नागरिकों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है।
बहरहाल पाकिस्तान, बांग्लादेश, और अफगानिस्तान के नेताओं के आरोप अमेरिकी नीतियों और हस्तक्षेप पर हैं। इन देशों के नेताओं का कहना है कि अमेरिका की विदेश नीतियाँ और सैन्य कार्रवाई उनके देशों की आंतरिक समस्याओं को और बढ़ा रही हैं। हालांकि, इन आरोपों की जटिलता और वास्तविकता की जांच करना आवश्यक है, ताकि इन देशों की समस्याओं का समाधान किया जा सके और स्थिर अंतरराष्ट्रीय संबंध स्थापित किए जा सकें।
Updated on:
08 Sept 2024 07:27 pm
Published on:
08 Sept 2024 06:50 pm
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