
इजरायल ने लॉन्च किया 'स्पेस स्मार्टफोन' (Photo - Patrika)
-अमित पुरोहित
Explainer: इजरायल ने अपना पहला पूरी तरह सरकारी और स्वदेशी संचार सैटेलाइट 'ड्रोर-1' लॉन्च किया है, जो एक जियोस्टेशनरी सैटेलाइट होने के साथ-साथ 'स्पेस स्मार्टफोन' जैसी तकनीक से लैस है। यह वैश्विक सुरक्षा, संचार व रणनीतिक संतुलन की दिशा में भी एक बड़ा कदम है। जानिए, क्या है इस प्रोजेक्ट के मायने…
इजरायल का पहला पूरी तरह सरकारी फंडिंग से बना और स्थानीय तकनीक से तैयार कम्युनिकेशन सैटेलाइट है। इसे अमरीका के केप केनवरल से स्पेसएक्स फाल्कन-9 रॉकेट के जरिए लॉन्च किया गया। ऐसे जियोस्टेशनरी सैटेलाइट पृथ्वी से करीब 36,000 किमी ऊपर तय बिंदु पर स्थिर रहते हैं।
जैसे स्मार्टफोन में ऐप्स, नेटवर्क और सेटिंग्स बदली जा सकती हैं, उसी तरह ड्रोर-1 को भी मिशन के अनुसार रियल टाइम में जमीन से रीप्रोग्राम किया जा सकता है। यह विभिन्न क्षेत्रों जैसे युद्ध, आपदा, रणनीतिक संचार को कवर करने के लिए अपना बीम और फोकस बदल सकता है।
यह देश का पहला सरकारी स्वामित्व वाला सैटेलाइट है। पहले के उपग्रह (जैसे एमोस-6) निजी कंपनियों के थे, जिनमें तकनीकी हादसे भी हुए। ड्रोर-1 से इजरायल की संप्रभुता, आत्मनिर्भरता और रणनीतिक नियंत्रण मजबूत हुआ है। इसकी लागत लगभग 1,670 करोड़ रुपए आंकी गई है।
इजरायल एक भू-राजनीतिक रूप से संवेदनशील देश है। उसका कोई भी बड़ा स्पेस या रक्षा प्रोजेक्ट मध्य-पूर्व, अमरीका, यूरोप और एशिया के लिए रणनीतिक मायने रखता है। ड्रोर-1 की 100% घरेलू तकनीक से हाईटेक संचार सैटेलाइट बनाना कई देशों के लिए रोडमैप बन सकता है।
भारत के पास कई एडवांस संचार सैटेलाइट हैं, कई घरेलू तकनीक पर आधारित हैं और सरकार के स्वामित्व में हैं। भारत ने रीकॉनफिगरेबल पेलोड्स (जैसे सॉफ्टवेयर डिफाइन्ड रेडियो, एसडीआर) पर काम शुरू किया है। साथ ही इसरो इस क्षेत्र में अब पूर्ण स्वदेशी क्षमताओं की ओर बढ़ रहा है।
Published on:
15 Jul 2025 07:45 am
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