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80 साल में पहली बार अमरीकियों से ज्यादा भारतीयों ने दी जीआरई परीक्षा

अमरीका की सबसे कठिन मानी जाने वाली परीक्षा जीआरई के 80 साल के इतिहास में पहली बार भारतीय छात्रों की संख्या अमरीकी छात्रों से ज्यादा रही। शुक्रवार को जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, 1936 में यह एग्जाम शुरू होने के बाद पहली बार 2022-23 में इस परीक्षा में रेकॉर्ड संख्या में भारतीय छात्र बैठे।

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First time in 80 years, more Indians took the GRE exam than American

अमरीका की सबसे कठिन मानी जाने वाली परीक्षा जीआरई के 80 साल के इतिहास में पहली बार भारतीय छात्रों की संख्या अमरीका छात्रों से ज्यादा रही। शुक्रवार को जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, 1936 में यह एग्जाम शुरू होने के बाद पहली बार 2022-23 में इस परीक्षा में रेकॉर्ड संख्या में भारतीय छात्र बैठे। रिपोर्ट के मुताबिक जून-जुलाई 2022-23 में 113,304 भारतीयों ने यह परीक्षा दी। इसके बाद 97,676 अमरीकी और 57,769 चीनी लोगों ने यह परीक्षा दी। गौरतलब है कि जीआरई एक बेहद मानकीकृत परीक्षा है जो अमरीका समेत कई देशों के कॉलेजों में प्रवेश लेने के इच्छुक छात्रों की आलोचनात्मक सोच, विश्लेषणात्मक क्षमता, रीजनिंग और क्वांटिटेटिव सोच का आकलन करने के लिए ली जाती है।


अमरीकी छात्र घट रहे, भारतीय बढ़ रहे
इस परीक्षा को आयोजित करने वाले संगठन एजुकेशन टेस्टिंग सर्विस के सीईओ अमित सेवक ने बताया कि इससे पता चलता है कि भारतीयों के बीच इस टेस्ट की मांग बढ़ रही है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इस परीक्षा में भाग लेने वाले अमरीकी नागरिकों की संख्या 2019-20 में 250,274 थी। इस तरह यह संख्या 61 प्रतिशत गिर गई है। वहीं, जीआरइ के लिए आवेदन करने वाले भारतीयों की संख्या 69,835 से 62 प्रतिशत बढ़कर 113,304 हो गई है।

100 से अधिक बिजनेस स्कूलों में जीआरई को मान्यता
इस परीक्षा में भाग लेने वाले भारतीयों की संख्या में वृद्धि का एक मुख्य कारण अमरीका 100 से अधिक बिजनेस स्कूलों में जीआरई स्कोर को एडमिशन के लिए दी जानी वाली मान्यता है। दूसरा कारण एसटीईएम (साइंस, टेक, इंजीनियरिंग, मैथ) अनुशासन में भारतीयों की बढ़ती रुचि है। जीआरई परीक्षा देने वालों में सबसे अधिक मांग वाला विषय भौतिक विज्ञान और इसके बाद इंजीनियरिंग था।